लोस चुनाव : उप्र तीसरे चरण के चुनाव में कांग्रेस की स्थिति नाजुक, एक सीट पर दिखेगा पंजा
लखनऊ, 28 अप्रैल (हि.स.)। उप्र में तीसरे चरण में 10 सीटों पर चुनाव होगा। आंकड़ों के लिहाज से इस चरण क
पंजा


लखनऊ, 28 अप्रैल (हि.स.)। उप्र में तीसरे चरण में 10 सीटों पर चुनाव होगा। आंकड़ों के लिहाज से इस चरण की सीटों पर कांग्रेस की स्थिति नाजुक है। इंडी गठबंधन में हुए सीटों के बंटवारे में कांग्रेस प्रदेश की 80 में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। गौरतलब है कि तीसरे चरण में सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। बाकी सीटों पर सपा प्रत्याशी चुनावी रण में उतरे हैं।

कांग्रेस के हिस्से में फतेहपुर सीकरी की सीट

कांग्रेस-सपा के बीच सीटों के बंटवारे में तीसरे चरण की संसदीय सीट संख्या 19 फतेहपुर सीकरी कांग्रेस के खाते में है। इंडियन नेशनल कांग्रेस ने रामनाथ सिंह सिकरवार को यहां से टिकट दिया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से राजकुमार चाहर और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से पं0 रामनिवास शर्मा चुनाव मैदान में हैं। फतेहपुर सीकरी 2009 में अस्त्तित्व में आई। पहले चुनाव में बसपा उम्मीदवार सीमा उपाध्याय ने जीत हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस दूसरे और भाजपा तीसरे नंबर पर रही। 2014 के चुनाव में भाजपा के बाबू लाल ने यहां जीत का झंडा फहराया। इस चुनाव में बसपा दूसरे, सपा तीसरे और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) चौथे स्थान पर रहा। बता दें, इस चुनाव मे कांग्रेस-रालोद का गठबंधन था। ये सीट रालोद के खाते में थी।

2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर ने यहां से जीत दर्ज की। भाजपा के खाते में 667,147 (64.24प्रतिशत) वोट आए। वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी सिने स्टार राज बब्बर के खाते में 172,082 (16.57 प्रतिशत) वोट ही आए। भाजपा ने लगभग 5 लाख वोटों के बड़े अंतर से ये चुनाव जीता। जबकि बसपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा।

छह सीटों पर 40 साल पहले मिली आखिरी जीत

तीसरे चरण की जिन सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में नहीं है, वहां की बात की जाए तो लगभग सभी सीटों पर उसका पिछला प्रदर्शन औसत से भी कम है। बरेली सीट छोड़कर बाकी सीटों पर उसे आखिरी जीत चार दशक पहले नसीब हुई।

संभल और हाथरस सुरक्षित सीट कांग्रेस ने आखिरी बार 1984 के आम चुनाव में जीती थीं यानी 40 साल पहले। पिछले चुनाव में हाथरस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा। पेठा नगरी आगरा सुरक्षित सीट आखिरी बार 40 साल पहले 1984 के चुनाव में जीती थी। 2014 और 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी क्रमश: चौथे और तीसरे स्थान पर रहे।

मैनपुरी सीट पर कांग्रेस अंतिम बार 1984 में जीती थी। इस जीत के बाद कांग्रेस इस सीट से जीती नहीं। पिछले कई चुनाव में कांग्रेस ने सपा से दोस्ती निभाते हुए इस सीट से अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारा।

बदायूं और आंवला सीट पर कांग्रेस को अंतिम बार 1984 के चुनाव में जीत हासिल हुई। 2019 के आम चुनाव में बदायूं सीट से कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा। आंवला सीट पर 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी क्रमश: चौथे और तीसरे स्थान पर रहा।

एटा में 1980 में अंतिम जीत

एटा सीट पर कांग्रेस को आखिरी जीत 1980 के आम चुनाव में मिली। इस जीत के बाद उसका जीत का सूखा जारी है। 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट से प्रत्याशी नहीं उतारा। 2009 के चुनाव में कांग्रेस चौथे नंबर पर रही।

फिरोजाबाद और बरेली में 15 साल पहले जीत

सुहाग नगरी फिरोजाबाद में 1962 और 1971 में जीती। इसके बाद 2009 में अखिलेश यादव के सीट छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर ने सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को 85,343 मतो के भारी अंतर से हराकर जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में कांग्रेस यहां चौथे स्थान पर रही। 2019 में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा। वहीं झुमका नगरी बरेली की बात की जाए तो 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस यहां से जीती थी। पिछले दो चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी क्रमश: चौथे और तीसरे नंबर पर रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/राजेश