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-एएमए में वैज्ञानिक संगोष्ठी आयोजित
प्रयागराज, 28 अप्रैल (हि.स.)। गुर्दे के रोग आम जनमानस में बहुत सामान्य है। यह निवारण करने योग्य रोग है। इसमें आम जनमानस के अलावा चिकित्सकों को भी जागरूक रहने की आवश्यकता है। अन्तरराष्ट्रीय नेफ्रोलॉजी सोसाइटी ने इसे 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है।
यह बातें मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज नेफ्रोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. संतोष मौर्या ने रविवार को इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन कनवेन्शन सेंटर में आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में इसकी जागरूकता से इसे सम्भव किया जा सकता है, परन्तु अविकसित देशों में इसे दूर करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। डॉ. सना शदाब ने गुर्दे के चोट और निवारण पर बताया कि गर्भावस्था में तीव्र गुर्दे की चोट (एकेआई) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है और मातृ एवं भ्रूण की रुग्णता और मृत्यु दर का एक महत्वपूर्ण कारण है। गर्भावस्था से सम्बंधित एकेआई किडनी की कार्यप्रणाली के बिगड़ने से जुड़ा है।
एएमए अध्यक्ष डॉ. कमल सिंह की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में वक्ता को स्मृति चिन्ह एवं चेयरपर्सन डॉ. प्रो अरविन्द गुप्ता, डॉ. संजीव यादव और डॉ. अनीता कुलश्रेष्ठ को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। वैज्ञानिक सचिव डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने संगोष्ठी का संचालन तथा एएमए संयुक्त सचिव डॉ. संतोष सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संगोष्ठी में डॉ. शार्दूल सिंह, डॉ. सुबोध जैन, डॉ. सुजीत सिंह, डॉ. युगान्तर पाण्डेय, डॉ. अभिनव अग्रवाल, डॉ. सपन श्रीवास्तव, डॉ. उत्सव सिंह आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/दिलीप