भारतीय नृत्य संस्कृति की संसार ने हमेशा सराहना की
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (29 अप्रैल) पर विशेष डॉ. रमेश ठाकुर नृत्य दुनिया भर की संस्कृतियों का एक मह
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अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस (29 अप्रैल) पर विशेष

डॉ. रमेश ठाकुर

नृत्य दुनिया भर की संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नृत्य एक कला भी है और शिक्षा भी। मानव शरीर को स्वस्थ रखने की साधना भी। आज ‘अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस’ है जिसकी शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई थी। आज का ये खास दिन नृत्य कला के महान सुधारक जीन-जॉर्जेस नोवरे की जन्म स्मृति पर आधारित है। जहां तक भारतीय नृत्यों की बात है, दुनिया भर में हमेशा से मशहूर रहे हैं। भरतनाट्यम और कथक नृत्य का आज भी कोई जवाब नहीं। इंग्लैंड की महारानी हों, या पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो से लेकर कई देशों के प्रमुखों का पसंदीदा कथक नृत्य ही रहा। कथक नृत्य की वेशभूषा आज भी लोगों को आकर्षित करती है। आज का ये विशेष दिन यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टीट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में सर्वसम्मति से मनाने का निर्णय लिया था। वर्ष-2023 में ‘अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस’ की थीम ’नृत्य-दुनिया के साथ संवाद करने का एक तरीका’ थी।

भारत में नृत्य कला हजारों साल पुरानी है। हमारे यहां नृत्य की एक नहीं, कई विधाएं हैं जिनमें कथकली, मोहिनीअट्टम, आडिसी, कथक, भरतनाट्यम, कुचिपुडी व मणिपुरी प्रमुख हैं। इनके अलावा प्रदेश स्तरों पर भी किस्म-किस्म के नृत्य मौजूद हैं। इसके अलावा आधुनिक समय में नृत्य के रंग रूप और प्रारूप एकदम बदल चुके हैं, जिसके उदाहरण टीवी पर आयोजित होने वाले डांस प्रतियोगिताएं हैं। जहां नृत्य का लेबल देखकर प्रतीत होता है कि पारंपरिक नृत्य विधाएं बहुत पीछे छूट गई है। इस दिवस के मकसद की जहां तक बात है, तो वैश्विक स्तर पर इसके महत्व के बारे में लोगों को जागरूकता करना, भागदौड़ भरी लाइव में नृत्य को शामिल करने की ललक पैदा करना, विभिन्न संस्कृतियों में नृत्य की भूमिका को दर्शाना और विशेष रूप से नृत्य कला के प्रति प्रशंसा व्यक्त करने के लिए महत्वपूर्ण क्षणों का प्रचार-प्रसार करना। ये दिवस करीब 200 देशों में आज मनाया जा रहा है। जहां, नृत्य प्रदर्शन, कार्यशालाएं, और शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

भारतीय नृत्यों को लेकर कई देशों ने रिसर्च किया। कुछ मत ऐसे भी हैं कि नृत्य का जन्म भारत से ही हुआ। जो प्राचीन मान्यताओं में भी बताई जाती हैं। करीब 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं के अनुरोध पर भगवान ब्रह्मा ने नृत्य वेद तैयार किया था। तभी से दुनिया भर में नृत्य की उत्पत्ति हुई। भारत के लिए नृत्य सिर्फ कला ही नहीं, एक परंपरा, संस्कृति और धरोहर भी है। तभी भारत की तमाम रंगमंच संस्थाएं और नृत्य समितियां नृत्य दिवस को खास अंदाज से मनाती है। आज के दिन महान कलाकारों को सम्मान दिया जाता है और उनके योगदान पर विमर्श होता है।

नृत्य के चिकित्सीय लाभ भी बहुतेरे हैं। डांस करने से फैट बहुत तेजी से घटता है। मात्र 30 मिनट के डांस में 150 कैलोरी तक फैट बर्न होता है। डांस से ब्रेन एक्टिव रहता है। चिकित्सक कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के मरीजों को डांस करना जरूरी बताते हैं। एक्सरसाइज से कहीं बेहतर डांस को बताया गया है। डांस से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है। नियमित डांस से शरीर की एनर्जी बढ़ती है और थकान जैसी समस्या भी छूतंमर होती है। डांस से भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य में बहुत तेजी से सुधार होता है। भारत का एक बड़ा वर्ग इस क्षेत्र से जुड़ा है। देशभर में हजारों की संख्या में डांस अकेडमी संचालित हैं। प्रत्येक स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालयों में नृत्य के टीचर बच्चों को डांस का प्रशिक्षण देते हैं। राज्यों व केंद्र सरकार भी भरपूर संसाधन मुहैया कराते हैं।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)