सरकारी कर्मचारी के खिलाफ दिए गए दंड की शुद्धता देख सकती हैं अदालतें : हाईकोर्ट
-लापरवाही और अनुशासनहीनता के मामले में एसएचओ को राहत नहीं -राज्य लोक सेवा न्यायाधिकरण, लखनऊ के आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट


-लापरवाही और अनुशासनहीनता के मामले में एसएचओ को राहत नहीं

-राज्य लोक सेवा न्यायाधिकरण, लखनऊ के आदेश को सही मानते हुए हस्तक्षेप से इंकार

प्रयागराज, 27 अप्रैल (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी के बिछवां थाना प्रभारी रहे याची को राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से कानून का यह अच्छी तरह से स्थापित है कि अनुशासन और अपील नियमों के तहत एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ लगाए गए दंड के मामलों में, न्यायाधिकरण और न्यायालय केवल इसकी शुद्धता देख सकते हैं। कोर्ट को देखना है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया और मौजूदा मामले में याची के खिलाफ सजा देते समय निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने राजेश पाल सिंह की पुनर्विचार अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

मामले में याची मैनपुरी के बिछवां थाने पर वर्ष 2019 में एसएचओ पद पर तैनात था। 5-6 जुलाई 2019 को रात्रि में राजू नामक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ बिछवां से गुजर रहा था। सड़क पर मोटरसाइकिल पर अज्ञात बदमाशों ने मोटरसाइकिल रोकी और हथियार दिखाकर उसकी पत्नी को उठा ले गए और उसके साथ बलात्कार किया। राजू ने यूपी-112 पर थाना बिछवां पुलिस को सूचित किया, तो याची और कुछ अन्य पुलिस कर्मियों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसकी कोई मदद नहीं की।

इसके बाद, राजू ने उपरोक्त घटना की सूचना पुलिस स्टेशन कुरावली में दी और वहां पर प्राथमिकी दर्ज की गई। याची के आचरण ने अनुशासित पुलिस बल की छवि को धूमिल किया है और लापरवाही और अनुशासनहीनता को दर्शाता है। इसलिए पुलिस अधीक्षक मैनपुरी ने कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा। कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले मामले की प्रारंभिक जांच भी की गई थी जिसमें याची को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया था। याची ने जवाब दिया लेकिन मामला प्रथम दृष्टया सही पाए जाने पर छह जनवरी 2021 को याची की निंदा करते हुए जुर्माना लगाया गया। याची ने इस सजा के खिलाफ अपील दाखिल की। आगरा जोन के पुलिस महानिरीक्षक ने उसे खारिज कर दिया। याची ने अपर पुलिस महानिदेशक, आगरा जोन, के समक्ष पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की लेकिन 12 जुलाई 2022 उसे भी खारिज कर दिया गया। याची राज्य लोक सेवा न्यायाधिकरण, लखनऊ के समक्ष पहुंचा लेकिन वहां से भी उसे राहत नहीं मिली। उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन