Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
- सुयश त्यागी
पिछले छह महीने से जहां एक ओर चुनावी सरगर्मी बढ़ रही थी तो वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर जैसे जातिगत एकाउंट्स की बाढ़ सी आने लगी । एक्स से लेकर फेसबूक और इंस्टाग्राम से लेकर व्हाट्सएप्प तक जाति आधारित समूह व एकाउंट का निर्माण होने लगा । प्रारंभिक दौर में एकाउंट के निर्माण के बाद अपनी जाति के प्रेरक किस्से, नायकों का व्यक्तित्व एवं समाज से जुड़ी जानकारियां साझा की जाने लगीं । जैसे जैसे चुनाव नजदीक आने लगे इनका स्वरूप बदलने लगा सारे एकाउंट्स जाति के बाहर आकर अन्य विषयों पर टिका टिप्पड़ी करने लगे और धीरे-धीरे अपनी दिशा अपनी जाति को सर्वश्रेष्ठ दिखाकर अन्य को छोटा दिखाने का प्रयास शुरू किया जाने लगा ।
परिणामस्वरूप एक जाति का हैंडल दूसरी जाति को कोसता, तो दूसरी जाति का हैंडल पहले वाले को और इन दोनों हैंडल्स पर आकर सहभागिता देते हुए अपनी-अपनी जाति का समर्थन करते लोग कब दूसरी जाति की निंदा प्रारंभ कर देते हैं, उन्हें उसका आभास ही नहीं रहता और वह सभी एक प्रकार के बुने हुए आभासी जाल में फंस जाते हैं। कई मामलों में देखने में आया हैं कि इन एकाउंट्स को संचालित करने वाले व्यक्ति का उस जाति से ही कोई वास्ता नहीं रहता और कभी-कभी एक ही व्यक्ति को अलग-अलग जातियों के नाम से एकाउंट बनाकर चलाते हुए पाया गया है ।
इस पूरी योजना के पीछे विरोधियों का हिन्दू समाज का वर्गीकरण करना है, जिससे समाज की एकता से देश में हो रहे बड़े निर्णयों को रोका जा सके और इस वक्त देश में हो रहे लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवादी दल को जीत की चौखट से दूर किया जा सके l एक ऐसे मौहाल का निर्माण करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे जनता अपने प्रत्याशी में देश का स्वर्णिम भविष्य की जगह अपनी जाति का उम्मीदवार ढूंढे । दिमाग में योजनाबद्ध तरीके से पूर्व में निर्मित करवाये गए विचार को हवा देकर एक जातिगत द्वेष की अग्नि को भड़काना मुख्य लक्ष्य है ।
वस्तत: ऐसे वातावरण में विभिन्न समाजों के लोगों को समझना होगा, आजादी के इतने वर्ष बाद भी 2014 के पूर्व देश किस स्थिति में था और आज किस पायदान पर खड़ा है । जाति से ऊपर उठकर सम्पूर्ण हिन्दू समाज का चिंतन कर देश में हो रहे सांस्कृतिक व धार्मिक अभ्युदय का साथ देना होगा । व्यक्तिगत व जातिगत स्वार्थ से ऊपर देखना होगा व प्रत्याशी में जाति देखने के बजाय देश की बागडोर सम्हालने वाले प्रधानमंत्री का नेतृत्व कौशल देखना होगा । भारत अपने स्वर्णिम काल की ओर बढ़ रहा है और यह गठबंधन उसे आजादी से पूर्व की तरह स्थिति में ढ़केलने का प्रयास कर रहा है । इसीलिए सभी सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता इन जातिगत हैंडल्स के ठेकेदारों की बातों में ना आकर व उनका समर्थन ना कर समाज में बढ़ रही खाई को रोकने में अपनी सहभागिता निभाएं ।
(लेखक सोशल मीडिया एक्टविस्ट हैं)हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक