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कोलकाता, 17 अप्रैल (हि.स.)। जीवन में उत्थान पतन आयेंगे किन्तु हमें विचलित नहीं होना हैं- यह हम शास्त्री जी के जीवन में पाते हैं। शास्त्रीजी के व्यक्तित्व की चर्चा तो हम सब करते है किन्तु उनके कर्तृत्व एवं साहित्य की चर्चा युवा पीढ़ी को करनी चाहिए।'
उपरोक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने मंगलवार को कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से आयोजित आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री की 19वीं पुण्यतिथि पर कार्यक्रम में कहीं। सभा की अध्यक्षता कवि एवं साहित्यकार अनिल ओझा नीरद' ने की।
पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज एवं मंत्री बंशीधर शर्मा ने कुमारसभा पुस्तकालय के मार्गदर्शक के रूप में शास्त्रीजी के अवदानों एवं संस्मरणों का स्मरण करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रारंभ में हिमांशु सोनी ने सीताराम सीताराम सीताराम कहिए, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए' गीत की सस्वर प्रस्तुति दी। पुस्तकालय के उपमंत्री सत्यप्रकाश राय ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान डॉ. बसुमति डागा, डॉ. कमलेश जैन, संजय मंडल, डॉ. कमल कुमार, परमजीत पंडित, दीक्षा गुप्ता एवं दिव्या प्रसाद आदि ने शास्त्रीजी के व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों का भावपूर्ण स्मरण किया। नन्दकुमार लढ़ा, रमाकान्त सिन्हा, दुर्गा व्यास अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी व अन्य महानुभावों ने शास्त्री जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
हिंदुस्थान समाचार/मधुप
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