Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
सहरसा,17 अप्रैल (हि.स.)।आज चैत्र नवरात्र की महानवमी है।इसे रामनवमी भी कहते हैं।चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की उसापना के पश्चात कन्या पूजन किया जाता है।फिर पारण के बाद चैत्र नवरात्रि का महापर्व समाप्त हो जाता है।
सिद्धिदात्री की महिमा चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है।मां सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नौवां और अंतिम स्वरूप हैं। इनकी पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं। मां सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर विराजमान हैं और इनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म है। यक्ष, गंधर्व, किन्नर, नाग, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं।
ऐसी मान्यता हैं कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से नवरात्रि के 9 दिनों की उपासना का फल मिलता है।
पंडित कामेश्वर झा एवं पंडित रविन्द्र झा ने बताया कि इस बार नवरात्रि की महानवमी बहुत खास मुहूर्त है।उन्होंने बताया कि इस बार महानवमी पर रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। सनातन धर्म में रवि योग को बहुत ही शुभ माना गया है। रवि योग में सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है। महानवमी पर रवि योग पूरे दिन रहने वाला है।महानवमी के अवसर पर कुमारी कन्या भोजन तथा हवन-अनुष्ठान के बाद समापन होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा