Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
-कोर्ट ने कहा, घरेलू हिंसा कानून की कार्यवाही दीवानी प्रकृति की, वहीं मांगे राहत
प्रयागराज, 15 अप्रैल (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मुकदमे की चार्जशीट रद्द कर दिए जाने के आधार पर उसी मामले में घरेलू हिंसा कानून के तहत चल रहे सिविल प्रकृति के मुकदमे को रद्द नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत की जाने वाली कार्यवाही दीवानी प्रकृति की होती है। इसलिए आपराधिक मुकदमा रद्द होने से इस कार्यवाही पर असर नहीं पड़ेगा। सिविल कोर्ट से राहत मांगनी चाहिए।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने एटा की सुषमा व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है।
याची के खिलाफ एटा के जलेसर थाने में मारपीट और दहेज उत्पीड़न का आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने विवेचना के बाद चार्जशीट दाखिल की। याची ने चार्जशीट को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने चार्जशीट रद्द कर दी। इसी घटनाक्रम के आधार पर याची व उसके परिवार वालों के विरुद्ध घरेलू हिंसा कानून के तहत भी मुकदमा दर्ज कराया गया।
याचिका दायर कर आपराधिक मुकदमा रद्द होने के आधार पर घरेलू हिंसा कानून का मामला भी रद्द किए जाने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले की चार्जशीट रद्द होने के आधार पर घरेलू हिंसा कानून के तहत दर्ज मामला रद्द नहीं किया जा सकता है। अमरदीप सोनकर केस में उच्च न्यायालय पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत की जाने वाली कार्रवाई सिविल प्रकृति की होती है। साथ ही यह निर्विवाद तथ्य है कि याची और विपक्षी एक ही मकान में रह रहे हैं। इसलिए घरेलू हिंसा के तहत दर्ज मामले को रद्द नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि याची चाहे तो घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अपनी आपत्ति सक्षम अदालत में प्रस्तुत कर सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/आकाश