यमुना और बेतवा की बाढ़ में जब उजड़ गया था गांव
--फिर भी मां अम्बे के मंदिर में बजते रहे घंटे हमीरपुर, 14 अप्रैल (हि.स.)। हमीरपुर जिले में यमुना और
फोटो-14एचएएम-11फिर भी मां अम्बे के मंदिर में बजते रहे घंटे


--फिर भी मां अम्बे के मंदिर में बजते रहे घंटे

हमीरपुर, 14 अप्रैल (हि.स.)। हमीरपुर जिले में यमुना और बेतवा नदी के संगम के पास पचास फीट की ऊंचाई में स्थित मां अम्बे का मंदिर आज भी सुरक्षित है। कुछ दशक पहले दोनों नदियों की बाढ़ के दौरान भी इस मंदिर में घंटे बजते रहे। जबकि मंदिर के पास ही बसा गांव बाढ़ में पूरी तरह से तबाह हो गया था। सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर के प्रति आसपास के इलाकों के लोगों का बड़ा अटूट रिश्ता है। इन दिनों इस मंदिर में नवरात्रि पर्व की धूम मची हुई है।

हमीरपुर जिला मुख्यालय से करीब 13 किमी दूर बीहड़ में बसा बड़ागांव, मराठाकालीन मां अम्बे मंदिर के कारण पूरे इलाके में विख्यात है। यह गांव यमुना और बेतवा नदी के संगम से कुछ ही किमी दूर बसा है। यमुना नदी के तल से करीब 100 मीटर ऊंचाई पर मां अम्बे का मंदिर बना है। यह मंदिर मराठा काल में चूना और कंकरीट से बनाया गया है। मंदिर में स्थापित मां अम्बे और काली की मूर्तियां भी चमत्कारी है। मंदिर के अंदर दोनों देवियों के सामने ही भगवान शंकर की मूर्ति स्थापित है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण मराठा काल में किया गया था। इसका पांच सौ साल पुराना इतिहास है।

मंदिर के आसपास किसी जमाने में घनी आबादी थी। लेकिन कई बार आयी दोनों नदियों की बाढ़ से गांव उजड़ गया था। अब मंदिर से काफी दूर एक नया गांव बस चुका है। सुमेरपुर क्षेत्र के ब्लाक प्रमुख जयनारायण सिंह यादव बड़ागांव के रहने वाले हैं, जिन्होंने इस मंदिर के सुन्दरीकरण के लिए बड़ी पहल की थी। उन्होंने बताया कि मां अम्बे के मंदिर का इतिहास आठ सौ साल से भी ज्यादा पुराना है, जहां कभी बंजारे रहते थे। इस मंदिर के पास ही बड़ागांव बसा था जो बाढ़ में पूरी तरह से उजड़ गया था।

यमुना और बेतवा के उफनाने से तबाह हुआ था गांव

ब्लाक प्रमुख जयनारायण सिंह यादव ने बताया कि वर्ष 1978 व 1983 मेें यमुना और बेतवा नदियों में भीषण बाढ़ आयी थी तब पूरा गांव पानी में जलमग्न हो गया था। लेकिन मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित रहा। गांव के लोग भी बाढ़ के समय मां अम्बे की मूर्ति का चमत्कार देख दंग रह गये थे। मंदिर के बुजुर्ग पुजारी सुखदेव ऋषि ने बताया कि बाढ़ के कारण मंदिर के आसपास का इलाका पानी में डूब जाने से हर जगह हाहाकार मच गया था।

बाढ़ के कारण मंदिर से दो किमी दूर बसा बड़ागांव

यमुना और बेतवा की बाढ़ के कारण मंदिर से दो किमी दूर नया बड़ागांव बसाया गया। अब यह गांव हर तरह से सुरक्षित है। पुजारी के मुताबिक इस प्राचीन मंदिर में हर साल कार्तिक मास और नवरात्रि में पूरा गांव मिलकर धार्मिक अनुष्ठान करता है। आठवें दिन गांव के लोगों की मदद से मंदिर में भंडारा होता है, जिसमें कम से कम पचास हजार लोग शामिल होते है। नवरात्रि पर्व पर भी इस मंदिर में धूम मचती थी लेकिन अबकी बार यहां सन्नाटा पसरा है।

मंदिर में अम्बे मां की मूर्ति की पूजा से पूरी होती है मुरादें

मंदिर के पुजारी सुखदेव ऋषि ने बताया कि इस मंदिर में हर किसी की मुराद पूरी होती है। कई लोगों को संतान का सुख मां अम्बे की मूर्ति पर माथा टेकने से मिला है। गांव के कोटेदार नंद किशोर यादव ने बताया कि करीब ढाई दशक पहले अमौली फतेहपुर से एक व्यापारी के पुत्र का अपहरण हुआ था। तब व्यापारी ने मंदिर में आकर रोते हुये मन्नत मांगी थी। अगले ही दिन उसका पुत्र सकुशल घर लौट आया था। उसने मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान कराया था।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज//विद्याकांत