शिमला पुलिस के समक्ष पेश हुए निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा, कांग्रेस सरकार पर लगाए आरोप
शिमला, 29 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में सरकार गिराने और विधायकों की खरीद-फरोख्त का षडयंत्र रचने क
Ashish sharma


शिमला, 29 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में सरकार गिराने और विधायकों की खरीद-फरोख्त का षडयंत्र रचने के कथित आरोपों के मामले में नामजद हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा शुक्रवार को शिमला की बालूगंज पुलिस के समक्ष पेश हुए। आशीष शर्मा दोपहर करीब पौने बारह बजे बालूगंज पुलिस स्टेशन में दाखिल हुए। इस दौरान पुलिस स्टेशन में एएसपी और डीएसपी स्तर के पुलिस अधिकारी मौजूद थे। आशीष शर्मा ने पुलिस स्टेशन से बाहर निकलने के बाद मीडिया के सवालों पर कहा कि उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और यह सब सतारूढ़ कांग्रेस सरकार कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार कानून से ऊपर नहीं है तथा सब कुछ कानून के तहत सामने आएगा। उनका यह भी कहना रहा कि असली फैसला जनता की अदालत में होना है।

इधर, इस मामले में आरोपी बनाए गए कांग्रेस के बागी व अयोग्य करार दिए गए विधायक चैतन्य शर्मा के पिता व पूर्व आईएएस राकेश शर्मा बालूगंज पुलिस स्टेशन नहीं पहुंचे। राकेश शर्मा उतराखंड के मुख्य सचिव भी रहे हैं। इससे पहले बीते 15 मार्च को भी आशीष शर्मा और राकेश शर्मा को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन तलब किया गया था, लेकिन उस दिन इन दोनों के वकीलों पुलिस के समक्ष पेश हुए थे। दोनों आरोपित प्रदेश हाईकोर्ट से सशर्त अग्रिम जमानत पर हैं।

दरअसल निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और सेवानिवृत्त आईएएस राकेश शर्मा के विरूद्ध शिमला के बालूगंज पुलिस स्टेशन में 171 ई और 171सी, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 व 8 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। एफआईआर में इन दोनों के अलावा अन्य अज्ञात लोगों को भी नामजद किया गया है। आरोपितों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं। कांग्रेस के दो विधायकों संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ की शिकायत पर पुलिस ने यह एक्शन लिया है।

शिकायत के मुताबिक बागी विधायक के पिता और निर्दलीय विधायक पर राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त करने, रिश्वत व पैसों के लेन-देन का आरोप लगा है। इन पर राज्यसभा चुनाव को गलत तरीके से प्रभावित करने का भी आरोप है। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि आरोपितों ने सरकार गिराने के लिए षड्यंत्र रचा।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव बीते 27 फरवरी को हुआ था। उस दौरान उक्त नौ विधायकों की क्रॉस वोटिंग की वजह से यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी को पराजित किया। दरअसल क्रास वोटिंग के बाद भी दोनों दलों के उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे, जिसके बाद पर्ची के जरिए विजेता उम्मीदवार का फैसला हुआ था।

राज्यसभा चुनाव के अगले दिन हिमाचल विधानसभा में बजट पारित होने के दौरान कांग्रेस के छह विधायक नदारद रहे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें अयोग्य ठहराते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा छह सीटों को रिक्त अधिसूचित करने के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने इन अयोग्य विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में आगामी पहली जून को विधानसभा उपचुनाव घोषित कर दिए हैं। ये छह अयोग्य विधायक बीते सप्ताह भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा ने इन्हें इनके निर्वाचन क्षेत्रों से अपना उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह तीन निर्दलीय विधायक भी अपनी विधानसभा सदस्या से इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि विस अध्यक्ष ने उनके इस्तीफे को अभी तक स्वीकार नहीं किया है।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्जवल/सुनील