आरएसएस की वार्षिक बैठक में पास होने वाले प्रस्ताव देश को दिखाते हैं नई दिशा : किस्मत कुमार
धर्मशाला, 29 मार्च (हि.स.)। आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सीएए पर करीब 74 वर्ष पहले यानी व
आरएसएस के कार्यक्रम में मौजूद पदाधिकारी मीडिया से बात करते हुए।


आरएसएस के कार्यक्रम में मौजूद पदाधिकारी मीडिया से बात करते हुए।


आरएसएस के कार्यक्रम में मौजूद पदाधिकारी मीडिया से बात करते हुए।


धर्मशाला, 29 मार्च (हि.स.)। आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में सीएए पर करीब 74 वर्ष पहले यानी वर्ष 1950 में प्रस्ताव पारित हुआ था। उसी तरह रामजन्म भूमि का प्रस्ताव 1980 में पास हुआ था। इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष्मान योजना के संबंध में भी प्रस्ताव पास हुआ था, जो आज देश के करोड़ों लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यह बात आरएसएस के हिमाचल प्रांत कार्यवाह किस्मत कुमार ने कही।

शुक्रवार को धर्मशाला में आयोजित संघ के कार्यक्रम में किस्मत कुमार ने कहा कि आज देश ही नहीं विदेश में भी यह जानने की उत्सुकता रहती है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) की वार्षिक बैठक में क्या प्रस्ताव पास होने वाला है, क्योंकि यही प्रस्ताव आने वाले समय में एक एजेंडे के तहत देश को नई दिशा दिखाते हैं। बैठक में जिस विषय को लाया जाता है वैसी सोच समाज में पहुंचाई जाती है और लोग उसी का अनुसरण करने लगते हैं। इसका उदाहरण हाल में ही देश में कानून की शक्ल में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पास होना है।

किस्मत कुमार ने कहा कि हिमाचल में संघ की दृष्टि से 45 नगर हैं, जिसमें सभी में शाखाएं चलती हैं और व्यक्तिगत जीवन निमार्ण होता है। देश में 45600 स्थानों पर 73117 शाखाएं चलती हैं। संघ समाज को जगाने का कार्य करता है और इस उद्देश्य पर चलता है कि संघ और समाज एक दिखे।

300वें जयंती वर्ष पर संघ करेगा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

उन्होंने कहा कि पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर का 300वां जयंती वर्ष 31 मई से आरंभ हो रहा है। ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले सामान्य परिवार की बालिका से एक असाधारण शासनकर्ता तक की उनकी जीवनयात्रा आज भी प्रेरणा का महान स्रोत है। वे कर्तव्य, सादगी, धर्म के प्रति समर्पण, प्रशासनिक कुशलता, दूरदृष्टि एवं उज्ज्वल चरित्र का अद्वितीय आदर्श थीं।

हिमाचल प्रांत कार्यवाह किस्मत कुमार ने बताया कि अहिल्याबाई होलकर मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। उन्होंने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया। उस समय आक्रमणकारियों द्वारा जिन भी मंदिरों को तहस-नहस किया गया था, उनका देवी अहिल्याबाई होलकर ने पुनर्निर्माण करवाया। इन बृहद कार्यों के कारण उन्हें पुण्यश्लोक की उपाधि मिली। उनके 300वें जयंती वर्ष पर आरएसएस की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन देश भर में किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि देवी अहिल्याबाई होलकर का लोक कल्याणकारी शासन भूमिहीन किसानों, भीलों जैसे जनजाति समूहों तथा विधवाओं के हितों की रक्षा करनेवाला एक आदर्श शासन था। केवल अपने राज्य में ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण देश के मंदिरों की पूजन-व्यवस्था और उनके आर्थिक प्रबंधन पर भी उन्होंने विशेष ध्यान दिया। बद्रीनाथ से रामेश्वरम तक और द्वारिका से लेकर पुरी तक आक्रमणकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों का उन्होंने पुनर्निर्माण करवाया। प्राचीन काल से चलती आई और आक्रमण काल में खंडित हुई तीर्थयात्राओं में उनके कामों से नवीन चेतना आई। पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई की जयंती के 300 वें वर्ष के पावन अवसर पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए समस्त स्वयंसेवक एवं समाज के लोग विभिन्न कार्यों में भाग लेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील