फाग होली के पावन अवसर पर परंपरा,उल्लास और शालीनता का वातावरण रहा पांगणा में
मंडी, 24 मार्च (हि. स.)। सुकेत की राजधानी के रूप में विख्यात पांडवकालीन पांगणा नगरी में फाग के अवसर
फाग होली के पावन अवसर पर परंपरा,उल्लास और शालीनता का वातावरण रहा पांगणा में


मंडी, 24 मार्च (हि. स.)। सुकेत की राजधानी के रूप में विख्यात पांडवकालीन पांगणा नगरी में फाग के अवसर पर हर घर मे खूब मस्ती रही। पांगणा में फाग से एक दिन पहले छोटी फाग चीड़,पाजे और कमशल की टहनियों टहनियों को फू करो फागा रे फगैरुओ के उद्घोष के साथ घर लाने के साथ फाग का शुभारंभ हो गया। इस अवसर  पर कमशल की सवा-सवा फुट की तीन टहनियों, शंक्वाकार भयाइयों और लकड़ी से बनी तलवार को मकोल की पर्त चढ़ाकर लाल,नीले,पीले रंग से रंगा गया। आज फाग के दिन प्रात:काल महिलाओं ने स्नानादि से निवृत होकर सबसे पहले पूजा कक्ष में लाल मिट्टी(हरमूंजी)से वर्गाकार लीपाई कर चावल की ढेरी पर गणेश जी की स्थापना कर इनके पृष्ठभाग में कशमल की टहनियों में तीन-तीन बाबरु बींध कर इन्हें  स्थापित किया।

गणेश जी के श्री विग्रह के साथ भयाइयोंकी स्थापना की गई।इस मंडप में ग्राम देवता,स्थान देवता,ईष्ट देवता तथा जोगणियों की स्थापना कर बसंत फूल, सरसों के फूल और रंग-बिरंगे फूलों से इसका श्रृंगार किया गया।

तदपश्चात घर के हर दरवाजे और मांदले पर हरमूंजी से वर्गाकार लीपाई (घणोटी)कर देहरी पूजन किया गया।अब पूजा कक्ष में प्रतिष्ठापित  श्री गणेश जी,देवी-देवताओं,भयाइयों, बींधे बाबरुओं से युक्त कशमल की तीन छडों,पाजे की टहनियों तथा लकड़ी की तलवार की परिवार के हर सदस्य ने कुंकुम,पठावे(देवदार क परागकण) दूर्वा,सरसों व बसंत पुष्पों,धूप-दीप,नैवेद्य तथा दान राशि अर्पित कर पूजा अर्चना कर बाबरुओं का भोग लगाकर प्रभु कृपा की कामना की और परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

परिवार की सबसे वरिष्ठ महिला द्वारा सभी सदस्यों के माथे पर तिलक कर कान के पीछे दूर्वा रख चार-चार की संख्या में गुड़ और घी से बने बाबरू खाने के लिए बांटे गए।इस त्योहार मे आस-पडोस मे चार-चार बाबरु और एक भल्ले के आदान-प्रदान की परंपरा का भी निर्वहन किया गया। आज ही के दिन शिवरात्रि के विशेष पकवान नहरलु,रोट आदि के बहु-बेटियो व रिश्तेदारो मे आदान-प्रदान का अंतिम दिन भी होता है जो होली तक शिवरात्रि के आयोजन व पकवान को खाइए-खिलाइए और खुशिया मनाने का प्रतीक भी है।होली के अवसर पर भोजन करने के बाद घर के सभी सदस्यों ने एक दूसरे को फाग का रंग लगाकर बधाई दी।

इस बार पागणा के युवा व्यवसायी व व्यापार मण्डल पागणा के प्रधान सुमीत गुप्ता(34वर्ष)की आकस्मिक मृत्यु के कारण एक-आध टोली को छोड़कर बड़ी मात्रा मे सामुहिक फाग न पुरूषो ने खेली और न ही तो महिलाओ  ने खास उत्साह से  सामुहिक फाग खेली।

सांयकाल के समय शुभ महूर्त के अनुसार आंगन में चीड़ और पाजे की टहनियों को सूखी घास व लकड़ियों के साथ मिलाकर अग्नि प्रदान की गई।इसे फाग बघेरणा कहा जाता है।पूजा कक्ष में रखे कमशल की छड़ियों ,पाजे की टहनियों को श्रद्धा से अग्निदेव को अर्पित किया गया।अग्नि के समक्ष लकड़ी की बनी तलवार से आटे से निर्मित बकरे की बलि देकर इसकी अग्नि को आहुति दी गई।तत्पश्चात परिवार के सभी सदस्यों ने अग्नि की तीन बार परिक्रमा व श्रद्धानवत नमन कर सदैव कृपा बनाए रखने का आशीर्वाद लेकर कुछ देर तक इस अग्नि को सेंक कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त की।

मान्यता है कि इस अग्नि को सेंकने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ती होती है। होलिका पूजन के बाद परिवार के सदस्यो ने इस अवसर पर बनाए गये विशेष प्रकार के पकवान भोजन के रुप मे ग्रहण किए। 

हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी/सुनील