तोरपा विघानसभा क्षेत्र में फिर तैयार हो रही भाजपा और झामुमो के बीच सीधी टक्कर की जमीन
-पांच विधानसभा चुनावों में दोनों राजनीतिक दलों के बीच होता रहा है कांटे का संघर्ष खूंटी, 24 अक्टूबर ( हि. स.)। अनुसूचित जनजातियों के लिए सुरक्षित तोरपा विधानसभा क्षेत्र में इस बार जबर्दस्त चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा। एक ओर जहां भाजपा प्रत्याशी
तोरपा विघानसभा क्षेत्र में फिर तैयार हो रही भाजपा और झामुमो के बीच सीधी टक्कर की जमीन


तोरपा विघानसभा क्षेत्र में फिर तैयार हो रही भाजपा और झामुमो के बीच सीधी टक्कर की जमीन


-पांच विधानसभा चुनावों में दोनों राजनीतिक दलों के बीच होता रहा है कांटे का संघर्ष

खूंटी, 24 अक्टूबर ( हि. स.)। अनुसूचित जनजातियों के लिए सुरक्षित तोरपा विधानसभा क्षेत्र में इस बार जबर्दस्त चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा। एक ओर जहां भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान विधायक कोचे मुंडा के समक्ष अपनी साख बचाने की चुनौती है, वहीं दूसरी ओर झामुमो भी पिछले विधानसभा में मिली हार का बदला लेने के लिए कोई कोर-कसर बाकी रखना नहीं चाहता। हालांकि अभी विधानसभा चुनाव को लेकर तोरपा की तस्वीर साफ नहीं हो सकी है कि कितने राजनीतिक योद्धा चुनावी दंगल में उतरेंगे। 30 अक्टूबर को नामांकन वापसी के बाद ही यह तस्वीर साफ हो पायेगी।

इस बार भी भाजपा के कोचे मुंडा और झामुमो के सुदीप गुड़िया आमने-सामने हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में कोचे मुंडा सुदीप गुड़िया को 9630 मतों से परास्त कर विधानसभा पहुंचे थे। 1957 से 2000 तक तोरपा विधानसभा क्षेत्र को झारखंड पार्टी का गढ़ माना जाता है। झारखंड पार्टी ने यहां से सता बार जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा ने तीन बार और झामुमो और कांग्रेस ने दो-दो बार जीत हासिल की है। भाजपा ने छठी बार कोचे मुंडा पर भरोसा जताते हुए उन्हें उम्म्ीदवार बनाया है। तीन बार कोचे मुंडा जीत का सेहरा बांध चुके हैं।

1957 में तोरपा विधानसभा अस्तित्व में आया। इसके पूर्व यह इलका खूंटी विधानसभा क्षेत्र में था। 1957 में पहली बार तोरपा विधानसभा सीट के लिए हुए चुनाव में झारखण्ड पार्टी के जुलियस मुंडा विधायक चुने गये थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मरियम कुजूर को हराया था। इसके बाद 1962, 1972 और 1977 में झारखण्ड पार्टी के उम्मीदवार जीतकर विधायक बने थे। 1980 में कांग्रेस पार्टी के लियेंन्द्र तिड़ू विधायक बने।

इस चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार सुशीला केरकेट्टा को हराया था। इसके बाद झारखण्ड पार्टी के अध्यक्ष और तोरपा क्षेत्र में मारंग गोमंके के नाम से प्रसिद्ध एनई होरो वर्ष 2000 तक इस सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ते और जीतते रहे। 1977 में एनई होरो यहां से चुनाव जीतकर तत्कालीन बिहार सरकार में मंत्री भी बने। उन्होंने योजना, जनसम्पर्क व शिक्षा मंत्री की जिम्मेवारी निभायी थी। 1980 में कांग्रेस के लियेंदर तिड़ू से एनई होरो परास्त हो गये। लियेंदर तिड़ू बिहार विधानसभा में राज्य सरकार के लघु सिंचाई विभाग के मंत्री बने थे। इसके बाद 1985 1990 और 1995 के चुनाव में एनई होरो यहां से लगातार विजयी हुए। पर्ष 2000 के चुनाव में भाजपा के कोचे मुंडा ने उन्हें शिकस्त दी।

इसके बाद 2005 में भी भाजपा के कोचे मुंडा से एनई होरो एक बार फिर परास्त हो गये। 2009 में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के पौलुस सुरीन ने भाजपा के कोचे मुंडा को हराया। उन्होंने यह चुनाव जेल में रहते हुए लड़ा था। पौलुस सुरीन ने इस सीट पर जेल में रहते हुए चुनाव जितने का रिकार्ड बनाया था। इसके बाद 2014 के चुनाव में पौलुस सुरीन जेल से बाहर रहकर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की. थी।

इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के कोचे मुंडा को महज 43 वोट से हराया था।

हर क्षेत्र में विकास का काम हुआ: कोचे गुंडा,

(विधायक) तोरपा के वर्तमान विधायक कोचे मुंडा कहते हैं कि विगत पांच वर्षों में हर क्षेत्र में विकास का काम तेजी से हुआ। उन्होंने विधानसभा क्षेत्र की सड़कों को चकाचक बनाने का काम किया। शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त कराया। वर्षाे से लंबित पुल निर्माण का काम शुरू कराया गया है.।. उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में स्वस्थ्य के क्षेत्र में भी काम हुआ है। प्रत्येक प्रखंड में अस्पताल का नया भवन बनाया जा रहा है। आज कोई ऐसा गांव नहीं है, जहां जाने के लिए सड़क न हो। उन्होंने कहा कि उनकी अनुशंसा पर तोरपा-जरियागगढ़ रोड और फड़िंगा पुलि के निर्माण को स्वीकृति मिल गई है।

जितना काम होना चाहिए नहीं हुआ: सुदीप गुड़िया

2019 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे और इस चुनाव में झामुमो के उम्मीदवार सुदीप गुड़िया ने कहा कि विगत पांच वर्षों में विकास के मामले में तोरपा विधानसभा क्षेत्र पिछड़ गया। सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने में विधायक विफल रहे। क्षेत्र में कई तरह की समस्याएं हैं, लेकिन विधायक इन समस्या के प्रति उदासीन रहे।

कब किसने किया तोरपा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व

1957 - जुलियस मुंडा(झारखण्ड पार्टी) 1962 - सामुएल मुंडा (झारखण्ड पार्टी), 1967 - एस पाहन कांग्रेस, 1972 बिरसिंह मुंडा झारखण्ड पार्टी, 1977 एन ई होरो झारखण्ड पार्टी, 1980 लियेंन्द्र तिड़ू कांग्रेस, 1985 एनई होरो झारखण्ड पार्टी, 1990 एनई होरो झारखण्ड पार्टी, 1995 एनई होरो झारखण्ड पार्टी, 2000 कोचे मुंडा भाजपा, 2005 कोचे मुंडा भाजपा, 2009 पौलुस सुरीन झामुमो, 2014 पौलुस सुरीन झामुमो और 2019 कोचे मुंडा।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा