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--गलत तरीके से रजिस्ट्री कराने के आरोपी की याचिका खारिज़
प्रयागराज, 01 अक्टूबर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि प्रथमदृष्टया अपराध गठित होता है तो याची को इस बात का लाभ नहीं मिल सकता कि इसी मामले में सिविल वाद लम्बित है। कोर्ट ने गलत तरीके से रजिस्ट्री करने के आरोपी अभियुक्तगण की गिरफ्तारी पर रोक मांग को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि सिविल वाद के लम्बित रहने का फायदा याचीगण को नहीं मिल सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिरला व न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने आगरा निवासी सुबोध उर्फ सुबोध कुमार व तीन अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में बहस के दौरान सरकारी वकील ने बताया की विवेचना में आई पी सी की धारा 467, 468, 471 को बढ़ा दिया गया है।
इसके अतिरिक्त याची सुबोध कुमार के विरुद्ध छह अपराधिक केस का इतिहास है। जो एक ही प्रकृति के हैं। इसके साथ ही उनकी पत्नी लता के खिलाफ भी एक केस का अपराधिक इतिहास है और विवेचना में धारा 120 बी (अपराधिक षड्यंत्र) को भी शामिल किया गया है। इसके साथ यह भी बताया गया कि याचीगण मामले में अग्रिम जमानत आगरा कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे