लोककला सभ्यता और संस्कृति की संरक्षक : कुलपति
-डा. श्वेता पाण्डेय के निर्देशन में बुन्देली कला शैली में बन रहे हैं 50 से अधिक चित्र झांसी, 28 जन
कुलपति कला वीथिका का अवलोकन करते


कुलपति कला वीथिका का अवलोकन करते


कुलपति कला वीथिका का अवलोकन करते


कुलपति कला वीथिका का अवलोकन करते


कुलपति कला वीथिका का अवलोकन करते


कुलपति कला वीथिका का अवलोकन करते


-डा. श्वेता पाण्डेय के निर्देशन में बुन्देली कला शैली में बन रहे हैं 50 से अधिक चित्र

झांसी, 28 जनवरी(हि. स.)। किसी भी क्षेत्र की लोककला वहां की संस्कृति और सभ्यता की संरक्षक होती है। लोक चित्रों के माध्यम से हम अपने इतिहास को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं, वर्तमान के लिए योजना बना सकते हैं और भविष्य को बेहतर बनाने में सक्षम हो सकते हैं। यह विचार बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय ने बुन्देली कला वीथिका के लिए निर्मित हो रहे कलाकृतियों को देखते हुए व्यक्त किया।

कुलपति पाण्डेय ने कहा कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय क्षेत्रीय कला को बढ़ावा देने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहा है। उन्होंने बताया कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की दीवालों पर भी बुन्देली शैली में चित्रों का निर्माण किया गया है।

बुन्देली कला वीथिका के संयोजक प्रो. मुन्ना तिवारी ने कहा कि अभी 50 से अधिक चित्रों का निर्माण करके उसे वीथिका में लगाया जा रहा है। इसके बाद समय समय पर चित्रों को विद्यार्थियों के माध्यम से बनवा कर वीथिका में प्रदर्शित किया जाएगा। प्रो. तिवारी ने कहा कि यह प्रयास होगा कि ललित कला संस्थान में पढ़ाई करने वाले सभी विद्यार्थी अपने अध्ययन काल में कम से कम एक चित्र बुन्देली शैली में बना कर बुन्देली कला वीथिका के लिए दें, जिससे उनका काम यहां हमेशा के लिए प्रदर्शित किया जा सके।

कार्यशाला की संयोजिका डा. श्वेता पाण्डेय ने बताया कि चित्रों का निर्माण विद्यार्थियों के द्वारा किया जा रहा है। विद्यार्थी अपनी सोच और रचनात्कता के द्वारा बुन्देली लोक चित्रकला को एक नई पहचान देने का प्रयास कर रहे हैं। डा. पाण्डेय ने बताया कि ललित कला संस्थान बुन्देलखण्ड की लोक चित्रकला के संरक्षण और प्रचार–प्रसार के लिए हमेशा से कार्य करता रहा है। उन्होंने बताया कि लोक कला के संरक्षण विषय पर ही एक शोध परियोजना का संचालन भी विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश