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गुवाहाटी, 26 सितम्बर (हि.स.)। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) नाम की संस्था असमिया भाषा, संस्कृति और सभ्यता के लिए खतरा बनती जा रही है। प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में प्रवक्ता रंजीव कुमार शर्मा ने कहा कि असम को अशांत करने के लिए पीएफआई ने करीब 70 लाख इस्लाम धर्मावलंबी लोगों से 10 रुपये संग्रह करते हुए सात करोड़ रुपये की एक विशाल धनराशि एकत्र करने की योजना है।
भाजपा नेता ने कहा कि यह रुपया सरकार एवं राष्ट्र विरोधी हिंसात्मक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि केवल गोरुखुटी, धलपुर इलाके से पीएफआई ने 28 लाख रुपया एकत्रित किया है। इसका खुलासा असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने अपने संबोधन में उल्लेख किया है।
उल्लेखनीय है कि "सीएए" आंदोलन में हिंसा भड़काने में पीएफआई द्वारा निभाई गई भूमिका को हम सभी जानते हैं। जनता भवन में आग लगाने और हिंसा फैलाने के साथ-साथ असमिया स्वाभिमान स्वरूप शंकरदेव कलाक्षेत्र पर हमला कर सराई आदि को नष्ट करने के लिए चलाये गए हिंसात्मक घटना कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में पीएफआई की परियोजना के अनुसार अंजाम दिया गया था।
वर्तमान समय में असम को अशांत करने के लिए कांग्रेस और पीएफआई एक साथ काम कर रहे हैं। दरंग जिला के सिपाझार थाना अंतर्गत धलपुर, गोरुखुटी, शिव मंदिर इलाके में घटी घटना के पीछे पीएफआई का हाथ है। यह बात मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से संवाद माध्यम के जरिए उजागर किया है।
सामूहिक हिंसात्मक घटना को लेकर असम सरकार ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के नेतृत्व में एक न्यायिक जांच का ऐलान किया है।
वर्तमान समय में अन्य राज्यों के साथ असम में भी पीएफआई सक्रिय है। प्रवक्ता ने बताया है कि तथा असम के विभिन्न स्थानों में इनका नेटवर्क है। इसके खिलाफ राज्यवासी एकत्रित होकर विशाल जनमत तैयार करने के साथ गण आंदोलन शुरू करने की जरूरत है।
हिन्दुस्थान समाचार/देबोजानी/अरविंद