निगम आयुक्त के जवाब से हाईकोर्ट नहीं हुआ संतुष्ठ
जयपुर, 28 जुलाई (हि.स.)। अदालती आदेश के बावजूद सफाई कर्मचारियों को नियुक्ति नहीं देने के मामले में ब
जयपुर, 28 जुलाई (हि.स.)। अदालती आदेश के बावजूद सफाई कर्मचारियों को नियुक्ति नहीं देने के मामले में बुधवार को अजमेर निगम आयुक्त हाईकोर्ट में पेश हुए। कर्मचारियों के रिकॉर्ड को लेकर उनकी ओर से आनन-फानन में शपथ पत्र पेश किया, लेकिन अदालत उससे संतुष्ठ नहीं हुई। इस पर अदालत ने सफाई ठेकेदार की पर्याप्त जानकारी के साथ तीन अगस्त तक शपथ पत्र पेश करने को कहा है। न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश महेन्द्र संगत व अन्य की अवमानना याचिका पर दिए। सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में निगम आयुक्त कुशाल यादव अदालत में पेश हुए। उनकी ओर से अदालत में शपथ पत्र पेश कर सफाई कर्मचारियों का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने की बात कही गई। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालत ने सफाई कर्मचारियों का नहीं बल्कि ठेकेदार से संबंधित रिकॉर्ड पेश करने को कहा था। इस पर अदालत ने तीन अगस्त तक ठेकेदार से संबंधित पर्याप्त जानकारी पेश करने को कहा है। अवमानना याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि वर्ष 2012 में अजमेर नगर निगम के लिए 756 सफाई कर्मचारियों की भर्ती निकली थी। राज्य सरकार ने फरवरी 2014 में सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के आदेश दिए। वहीं एक मृत व्यक्ति के नाम से भेजी फर्जी शिकायत के आधार पर 11 जुलाई 2014 को अभ्यर्थियों की नियुक्तियां रद्द कर दी गई। इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। मामले में खंडपीठ ने 13 मार्च 2018 को आदेश जारी कर पात्र लोगों को नियुक्तियां देने को कहा, लेकिन निगम की ओर से नियुक्तियां नहीं दी गई। हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/ ईश्वर