हिसार : बागवानी फसलों पर मक्खी का प्रकोप कम करने को फ्रूट फ्लाई ट्रैप लगाएं : प्रो. बीआर कम्बोज
हकृवि के कीट विज्ञान विभाग ने कम कीमत का फ्रूट फ्लाई ट्रैप किया लॉन्चहिसार, 8 सितंबर (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा फल मक्खी प्रबंधन के समाधान के लिए कम कीमत का फ्रूट फ्लाई ट्रैप विकसित किया गया है।बागवानी फसलों पर की
कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज फ्रूट फ्लाई ट्रैप को लॉच करते हुए।


हकृवि के कीट विज्ञान विभाग ने कम कीमत का फ्रूट फ्लाई ट्रैप किया लॉन्चहिसार, 8 सितंबर (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा फल मक्खी प्रबंधन के समाधान के लिए कम कीमत का फ्रूट फ्लाई ट्रैप विकसित किया गया है।बागवानी फसलों पर कीटों के कारण काफी नुकसान और इसकी गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ता है।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बीआर कम्बोज ने साेमवार काे ट्रैप का शुभारंभ करते हुए कीट विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों को बधाई दी।कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा कि शोध एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। कीटनाशकों के प्रयोग को कम करके आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने व इसके बढ़ते खर्चे को कम करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। हरियाणा में बागवानी फसलों व सब्जियों का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है। इन फसलों पर विभिन्न प्रकार के कीट नुकसान पहुंचाते हैं इनमें मुख्य रूप से फल मक्खी का आक्रमण सबसे अधिक होता है। यह अकेले 90 से 100 प्रतिशत अमरुद, 85 से 90 प्रतिशत किन्नू, 80 प्रतिशत नाशपाति, 78 प्रतिशत आड़ू तथा 30 प्रतिशत तक आम की फसल में नुकसान कर सकती है। उन्होंने बताया कि फल मक्खी तरबूज, खरबूजा, खीरा, तोरई, करेला, कद्दू तथा परवल जैसी फसलों में किसानों को 30 से 80 प्रतिशत तक उत्पादन की हानि उठानी पड़ती है। उन्होंने बताया कि इस ट्रैप के उपयोग से कीटनाशकों पर निर्भरता घटेगी, किसानों की लागत कम होगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सुरक्षित फल और सब्जियां उपलब्ध हो सकेंगी ।अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि इस ट्रैप की कीमत 130 रूपए प्रति ट्रैप रखी गई है। इसके साथ उपयोग होने वाला सेप्टा 100 रूपए प्रति नग उपलब्ध है। एक एकड़ फसल में 14 से 16 ट्रैप लगाने की सिफारिश की जाती है। उन्होंने बताया कि इस ट्रैप को खेत में टहनी या खूंटी पर आसानी से लगाया जा सकता है। सेप्टा को समय-समय पर बदलकर प्रयोग में लाया जा सकता है।कीट विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुनीता यादव ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि बागवानी फसलों में ट्रैप लगाने से फल मक्खी के नर कीट ट्रैप में फस कर मर जाते हैं और प्रजनन क्रिया कम होने से इस कीट की संख्या घट जाती है। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. पवन कुमार, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश यादव, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल, वित्त नियंत्रक डॉ नवीन जैन, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य, डॉ. जीतराम शर्मा, डॉ. सोमवीर निंबल, डॉ. सुरेश सीला, डॉ. सुरेन्द्र यादव, डॉ. अंकित कुमार जूड़, डॉ. दीपिका कलकल तथा डॉ. वरुण सैनी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर