उत्तराखंड में संस्थागत प्रसव से घटी नवजात शिशु मृत्यु दर: डाॅ धन सिंह
देहरादून, 8 सितंबर (हि.स.)। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है। यह रिपोर्ट राज्य के लिए उत्साहित करने वाली तो है ही साथ ही इस बात का भी प
मंत्री धन सिंह रावत।


देहरादून, 8 सितंबर (हि.स.)। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है। यह रिपोर्ट राज्य के लिए उत्साहित करने वाली तो है ही साथ ही इस बात का भी प्रमाण है कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुदृढ़ हुई हैं। यह प्रदेशभर में संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने का प्रमाण भी है।

दरअसल, केंद्र सरकार के महापंजीयक की ओर से जारी किये गये वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में नवजात मृत्यु दर 15 प्रति हजार जीवित जन्म, शिशु मृत्यु दर 21 प्रति हजार जीवित जन्म और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 25 प्रति हजार जीवित जन्म है। यह आंकड़े पिछले वर्षों की तुलना में भारी कमी दर्शाते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि केन्द्र सरकार के महापंजीयक सर्वे-2022 की रिपोर्ट खासी उत्साहजनक है। राज्य में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में आई कमी इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुदृढ़ हुई हैं। इसमें सबसे अहम भूमिका आशाओं की रही, जिनके अथक प्रयासों से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य देखभाल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। राज्य सरकार शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए लगातार प्रयासरत है।

उन्होंने कहा कि यह सुधार राज्य के मजबूत स्वास्थ्य ढांचे और स्वास्थ्य विभाग की धरातल पर की गई पहलों का प्रत्यक्ष प्रणाम है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की ओर से प्रदेशभर में संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित किया गया और गर्भवती महिलाओं के शतप्रतिशत टीकाकरण एवं समुचित देखभाल के लिए आशाओं के माध्यम से विशेष अभियान चलाए गए। साथ ही खुशियों की सवारी योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ भी गर्भवती महिलाओं को पहुंचाया गया। जो शिशु मुत्यु दर में गिरावट में अहम साबित हुए।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेशभर में नवजात की देखभाल के लिए चिकित्सा इकाइयों में सुविधाओं का भी दायरा बढ़ाया गया। जिसमें राज्य के अस्पतालों में चार नवजात आईसीयू स्थापित किये गये। इसके अलावा नौ स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट, 34 न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट, 289 नवजात शिशु देखभाल कार्नर तथा 47 कंगारू मदर केयर यूनिट संचालित की जा रही है। जबकि वर्ष 2024-25 में जिला चिकित्सालय देहरादून व रूद्रप्रयाग में न्यू बोर्न केयर यूनिट क्रियाशील किये गये। जिसके चलते वित्तीय वर्ष 2024-2025 में नवजात आईसीयू, स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में कुल 4,643 नवजातों का सफल उपचार किया गया।

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही प्रदेशभर में एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत 6-59 माह आयु बच्चों को आयरन फोलिक एसिड सिरप की खुराखें दी गई। साथ ही प्रदेशभर में 5 से 9 आयु वर्ष के बच्चों को आयरन फोलिक एसिड पिंक टैबलेट दी गई। वहीं स्टॉप डायरिया अभियान के तहत 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों का ओआरएस तथा जिंक कवरेज 90 फीसदी रहा। जिससे बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाव मिला। प्रदेश के चार जनपदों देहरादून, पिथौरागढ़, नैनीताल और अल्मोड़ में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट कर्मियों के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल नई दिल्ली के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने15 दिवसीय ऑन-साइट हैंड होल्डिंग की गई। इस पहल से राज्य के चिकित्सकों की नैदानिक दक्षता और सेवा मानक में व्यापक सुधार हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार