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कोलकाता, 08 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय सेना के पैरा (विशेष बल) और भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो (मार्कोस) ने पहली बार ऊंचाई वाले स्थान पर लड़ाकू गोताखोरी प्रशिक्षण का आयोजन किया। सिक्किम में यह प्रशिक्षण 17000 फीट की ऊंचाई पर 30 अगस्त से 5 सितंबर तक एक संयुक्त स्कूबा और लड़ाकू गोताखोरी अभ्यास आयोजित किया गया था।
सेना के पूर्वी कमान ने सोमवार को बताया कि अभ्यास के दौरान जवानों ने खुले सर्किट एयर डाइविंग, बंद सर्किट शुद्ध ऑक्सीजन डाइविंग, बर्फीले पानी में 17 मीटर की गहराई तक गोता लगाने और रात में कॉम्बैट डाइविंग जैसे कठिन अभियानों को अंजाम दिया।
कठोर पर्वतीय इलाके और जमा देने वाली ठंड में हुए इस अभ्यास ने पैरा स्पेशल फोर्स और नौसेना के मार्कोस की अदम्य साहस, पेशेवर दक्षता और अनुकूलन क्षमता को प्रदर्शित किया। ऊंचाई वाले दुर्गम क्षेत्र में अभ्यास से सैनिकों की परिचालन क्षमता और भी मजबूत हुई तथा कॉम्बैट डाइविंग की सीमाएं और आगे बढ़ीं।
सेना का मानना है कि इस तरह का प्रशिक्षण आने वाले युद्धक्षेत्रों की अनिश्चित चुनौतियों से निपटने के लिए अनिवार्य है। ऊंचाई पर दुर्लभ वातावरण, बर्फीले पानी में सटीक अभियान और संयुक्त अभियानों में डाइविंग कौशल का समावेश सैनिकों की दृढ़ता और बहुआयामी क्षमता को और सशक्त करता है।
टीम कमांडर ने कहा, “इस तरह का प्रशिक्षण हर सैनिक की सहनशक्ति, कौशल और मानसिक दृढ़ता की परीक्षा लेता है। इससे सुनिश्चित होता है कि जब भी आवश्यकता होगी, हमारी टीमें किसी भी कठिन परिस्थिति में पूरी दक्षता के साथ काम कर सकें। यह अभ्यास संयुक्तता की भावना और हमारी विशेष बलों की हर चुनौती के लिए तैयार रहने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”
यह संयुक्त अभ्यास न केवल विशेष कौशल को निखारता है, बल्कि थलसेना और नौसेना के बीच बेहतर तालमेल भी स्थापित करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत की विशेष बलें हिमालय की ऊंचाइयों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक हर परिस्थिति में मिशन के लिए तैयार रहें।---------------------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर