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शिमला, 08 सितंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के लोगों को भारी वर्षा से फिलहाल कुछ राहत मिली है। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में एक हफ्ते तक मॉनसून की रफ्तार धीमी रहेगी और इस अवधि में कहीं भी भारी बारिश होने का अनुमान नहीं है। विभाग ने 9 सितंबर से 14 सितंबर तक किसी तरह का अलर्ट या चेतावनी जारी नहीं की है। हालांकि इस दौरान कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के आसार बने रहेंगे। सोमवार को भी अलर्ट के बीच प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश हुई, लेकिन बीते दिनों की तुलना में इसका प्रभाव कम रहा।
बीते 24 घंटों के दौरान मंडी और गोहर में सबसे अधिक 40 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा सिरमौर के गोहर, पांवटा और नारकंडा में 30-30 मिलीमीटर, जतौन बैराज, सराहन और शिलारू में 20-20 मिलीमीटर, जबकि कुल्लू, मनाली और सुंदनगर में 10-10 मिलीमीटर वर्षा हुई।
राज्य में भारी वर्षा से राहत भले ही मिल रही है, लेकिन पिछले दिनों हुई तबाही के चलते प्रदेश में जनजीवन अब भी पूरी तरह सामान्य नहीं हुआ है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार सोमवार शाम तक तीन नेशनल हाईवे और 744 सड़कें अब भी बंद पड़ी हुई थीं। सबसे अधिक नुकसान कुल्लू जिले में हुआ है, जहां एनएच-3 और एनएच-305 बंद हैं और कुल 225 सड़कें प्रभावित हैं। ऊना जिले में एनएच-70 सहित 24 सड़कें, मंडी में 183, शिमला में 137, चंबा में 42, कांगड़ा में 44 और सिरमौर में 39 सड़कें अवरुद्ध हैं। ऊपरी शिमला के सेब बाहुल्य क्षेत्रों में रोहड़ू की 45, कोटखाई की 23 और रामपुर की 17 सड़कें बंद रहने से सेब की खेपें समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।
बिजली और पानी की आपूर्ति भी प्रभावित है। प्रदेश में 959 ट्रांसफार्मर ठप हैं, जिनमें से अकेले कुल्लू में 722 ट्रांसफार्मर बंद हैं। चंबा में 52, मंडी में 88 और शिमला में 83 ट्रांसफार्मर काम नहीं कर रहे। इसी तरह 472 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। इनमें कांगड़ा की 176, मंडी की 57, कुल्लू की 63 और चंबा की 30 जल योजनाएं शामिल हैं।
मॉनसून सीजन ने इस बार प्रदेश में भारी तबाही मचाई है। अब तक कुल 370 लोगों की मौत हो चुकी है और 41 लोग लापता हैं, जबकि 434 लोग घायल हुए हैं। जिला अनुसार आंकड़ों पर नजर डालें तो मंडी में सबसे अधिक 61, कांगड़ा में 51, चंबा में 43, शिमला और कुल्लू में 39-39, किन्नौर में 28, सोलन में 26, ऊना में 22, बिलासपुर और सिरमौर में 18-18, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 9 लोगों की जान जा चुकी है। आपदा में अब तक 1997 पशुओं और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत भी दर्ज की गई है।
भारी बरसात और भूस्खलन से अब तक 1204 मकान पूरी तरह ढह गए हैं, जबकि 5140 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा 461 दुकानें और 5354 पशुशालाएं भी जमींदोज हो चुकी हैं। प्रारंभिक आकलन के अनुसार सार्वजनिक संपत्ति को अब तक 4122 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। प्रदेश में अब तक भूस्खलन की 136, बाढ़ की 95 और बादल फटने की 45 घटनाएं हो चुकी हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा