आस्था और विश्वास का केंद्र है टिहरी गढ़वाल का प्राचीन सिद्धपीठ कोटेश्वर महादेव
देहरादून, 8 सितंबर (हि.स.)। उत्तराखंड के टिहरी जनपद के नरेन्द्रनगर ब्लॉक, पट्टी क्वीली में स्थित श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव का अत्यंत प्राचीन और दिव्य मंदिर है। स्कंद महापुराण के केदारखंड (अध्याय 144) में वर्णित यह सिद्धपीठ अनादिकाल से श्रद
कोटेश्वर महादेव में प्राकृतिक शिवा।


देहरादून, 8 सितंबर (हि.स.)। उत्तराखंड के टिहरी जनपद के नरेन्द्रनगर ब्लॉक, पट्टी क्वीली में स्थित श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव का अत्यंत प्राचीन और दिव्य मंदिर है। स्कंद महापुराण के केदारखंड (अध्याय 144) में वर्णित यह सिद्धपीठ अनादिकाल से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है।

मंदिर में भगवान शंकर के साथ-साथ प्राकृतिक शिवा भी विराजमान हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु मन और मस्तिष्क में अद्भुत ऊर्जा का अनुभव करते हैं। उत्तरवाहिनी मां गंगा भागीरथी की पावन ध्वनि मानों स्वयं भगवान शंकर की स्तुति करती प्रतीत होती है। चारों ओर ऊंचे पर्वतों से घिरा यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है।

धार्मिक महत्व

मान्यता है कि यहां के पवित्र शिवकुंड में स्नान करने के बाद भक्त मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर जब शिवलिंग का दर्शन करते हैं, तो भगवान शंकर की दिव्य कृपा प्राप्त करते हैं। यहां स्थित शिवलिंग को सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है, जिस पर भगवान शंकर अपने पूरे परिवार सहित विराजमान हैं। इस सिद्धपीठ में सच्चे और पवित्र मन से की गई मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।

प्राचीन कथा

कथा प्रचलित है कि ब्रह्माजी ने यहां तप किया था, जिससे करोड़ों ब्रह्मराक्षसों का उद्धार हुआ। तभी से यह स्थान और अधिक पुण्यशाली और सिद्ध माना जाता है।

आध्यात्मिक अनुभव

यह स्थान साधकों और भक्तों के लिए कैलाश समान पवित्र है। यहाँ त्रिलोकनाथ शिव और प्राकृतिक रूपी माँ जगदंबा की दिव्य ऊर्जा से भक्त आत्मिक शांति और अध्यात्मिक उत्थान का अनुभव करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल