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नई दिल्ली, 08 सितंबर (हि.स.)। दिल्ली सरकार दिल्ली खादी और ग्रामीण उद्योग बोर्ड (डीकेवीआईबी) के जरिए एक नई स्किल योजना शुरू करेगी। उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली सचिवालय में सोमवार को एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बताया कि कॉटेज इंडस्ट्रीज के लिए स्किल एन्हांसमेंट योजना लॉन्च होने के लिए तैयार है।
इस योजना के बारे में मंत्री सिरसा ने बताया कि 50 करोड़ रुपये की यह स्किलिंग योजना बेरोजगार युवाओं, कारीगरों एवं जरूरतमंद लोगों को ट्रेनिंग देने पर फोकस करती है। इसका मकसद नौकरियां पैदा करना है। साथ ही भारत की पुरानी शिल्प परंपराओं को जिंदा रखना है। 2025-26 में एनएसडीसी, एनआईईएसबीयूडी और गैर सरकारी संगठनों जैसे पार्टनर्स की मदद से 13,900 से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग मिलेगी। योजना में 20 फीसद सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट और 50 फीसद पेड जॉब्स की गारंटी है।
कोर्स में परिधान मर्चेंडाइजिंग, लॉजिस्टिक्स वर्क, आईटी हेल्प डेस्क, सेल्फ-एम्प्लॉयड टेलरिंग और खादी फैशन मेकिंग जैसे प्रैक्टिकल स्किल्स शामिल हैं। ट्रेनी रोजाना एआई, डिजिटल टूल्स, मार्केटिंग और सॉफ्ट स्किल्स के हुनर सीखेंगे। उन्हें पांच महीने तक 400 रुपये प्रति महीना मिलेगा, साथ ही ट्रेनिंग के बाद लोन और सर्टिफिकेट की मदद भी मिलेगी।
उद्योग मंत्री सिरसा ने डीकेवीआईबी के रिवाइवल पर जोर देते हुए भारत की हैंडलूम विरासत को विश्वपटल पर ले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार खादी और ग्रामीण उद्योगों की सदियों पुरानी कला को बचाने के लिए समर्पित है। साथ ही युवाओं को भविष्य के टूल्स से लैस कर रही है। यह योजना विरासत शिल्प को एआई और डिजिटल ट्रेनिंग से जोड़कर नौकरियां बनाएगी। इससे एक ऐसा मॉडल बनेगा जो आत्मनिर्भरता को प्रेरित करेगा, जो पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजन से जुड़ा है। योजना में कम से कम 50 फीसद स्थान एससी/एसटी/ओबीसी/ईडब्ल्यूएस समूहों और महिलाओं के लिए हैं। इसमें 2,500 कारीगरों को टूलकिट्स और 500 को एक्सपोजर विजिट्स मिलेंगे। साथ ही दिल्ली के हर जिले में ट्रेनिंग सेंटर भी बनेंगे।
मंत्री ने बताया कि योजना में 10 दिन की एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (ईडीपी) शामिल है, जो हैंड्स-ऑन अपस्किलिंग और बिजनेस बेसिक्स सिखाती है ताकि छोटे शिल्प को सफल बिजनेस में बदला जा सके – यह सब भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय की गाइडलाइंस पर आधारित है। एनएसडीसी, एनआईईएसबीयूडी और एटीडीसी जैसे ग्रुप्स के साथ काम करके यह योजना स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय के नियमों का पालन करती है, जो भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में ट्रेनिंग को मजबूत बनाती है और कारीगरों व युवाओं को पुरानी शिल्प और नए बाजारों में सफल होने के टूल्स देती है।
मंत्री ने कहा कि यह प्रोग्राम प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) और केवीआईसी की इंटरेस्ट सब्सिडी एलिजिबिलिटी सर्टिफिकेशन जैसी बड़ी राष्ट्रीय योजनाओं से जुड़ा है, जो लोन और ग्रांट्स के लिए अतिरिक्त सपोर्ट देता है। यह योजना डीकेवीआईबी के हाल के उन कदमों पर बनी है, जैसे फैशन शो जहां मॉडल्स ने वैदिक स्टाइल्स में कई राज्यों की स्पेशल जियो टैग्ड टेक्सटाइल्स का प्रदर्शन किया। यह बताता है कि पुरानी परंपराएं आज के दौर में कैसे फिट हो सकती हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव