मानवता का सबसे बड़ा रुप है दूसरों का सहारा बननाः पंडित प्रदीप मिश्रा
- शिवमय भागवत कथा में उमड़ा आस्था का सैलाब सीहोर, 07 सितम्बर (हि.स.)। दूसरों के दुखों को समझना और उनके प्रति दया का भाव रखना ही मानवता का मूल है। नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करना और उनके दुख-दर्द को कम करने के लिए कार्य करना। मानवता अपने आप में ए

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