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कुल्लू, 6 सितंबर (हि.स.)। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश में मॉनसून से हुई आपदा से निपटने में प्रदेश सरकार पर नाकाम रहने के आरोप लगाया हैं। उन्होंने कहा कि सरकार प्रभावितों तक समय पर राहत नहीं पहुंचा पा रही और आपदा को राजनीतिक मुद्दा बनाने में लगी हुई है। ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में हर वर्ष भारी नुकसान होता है, बहुत से लोग अपनी जान गंवाते हैं, पशुधन और बाग-बगीचों को भी बड़ा नुकसान हुआ है।
उन्होंने बताया कि इस बार 45 बादल फटने की घटनाएं, 91 फ्लैश फ्लड और 105 भूस्खलन हो चुके हैं, जिनमें 360 लोगों की मौत हो चुकी है। 47 लोग अभी भी लापता हैं। प्रदेश में करीब 1100 घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए और करीब 4600 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। प्रदेश की 800 से अधिक सड़कें बंद हैं, लगभग 400 पानी की योजनाएं ठप हैं और करीब 2400 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि अब तक करीब 3997 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
ठाकुर ने कहा कि मानवाधिकार का मामला इसलिए है ताकि प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचे, लेकिन राहत अक्सर अन्य जगहों पर जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका मुख्य फोकस प्रभावितों का जीवन आसान बनाने पर होना चाहिए। इस आपदा में उन्होंने कहा कि कांग्रेस के किसी नेता या कार्यकर्ता को राहत सामग्री ले जाते हुए नहीं देखा गया। उन्होंने बताया कि आपदा की पहली जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है—फंसे लोगों का रेस्क्यू करना और प्रभावितों को राहत देना। उसके बाद ही नुकसान की भरपाई और पुनर्निर्माण का काम होना चाहिए।
ठाकुर ने 2023 की आपदा का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय राहत के लिए 4,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई थी, लेकिन मात्र 300 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। तीन बिस्वा जमीन देने की योजना को भी अमलीजामा नहीं पहनाया गया। उन्होंने कहा कि प्रभावितों के साथ झूठ बोलना बहुत बड़ा अपराध है। जिनके परिवार का सदस्य चला गया या जिनकी सम्पत्ति बह गई, उन्हें घोषित राहत नहीं मिली।
ठाकुर ने कहा कि अभी भी ऐसे स्थान हैं जहां प्रशासन नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि सरकार आपदा प्रबंधन में ध्यान देने की बजाय राजनीति कर रही है और मुख्यमंत्री का पूरा धुंआ केंद्र को कोसने में लगा है। उन्होंने कम्यूनिटी सेंटर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि प्रभावितों को छत, शौचालय और अन्य सुविधाएं मिल सकें। साथ ही उन्होंने कहा कि जिनके घर बह गए हैं, उनके लिए नकद राहत नहीं बल्कि मकान बनाकर देने की नीति बनाई जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / जसपाल सिंह