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वाराणसी, 04 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर गुरूवार को अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र में ‘शिक्षक दिवस एवं शिक्षक सम्मान समारोह’ का आयोजन हुआ। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए शिक्षकों को अपनी शिक्षण और मूल्यांकन पद्धति पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा के महत्व पर कहा कि शिक्षकों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभावी उपयोग पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे वे अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार कर सकते हैं।
मुख्य वक्ता सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि सच्चा शिक्षक वही है जो अपने आचरण से शिक्षा देता है। शिक्षकों के पांच लक्षणों प्रेरक, सूचक, वाचक, दर्शक, बोधक की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि शिक्षकों का इन गुणों से परिपूर्ण होना न केवल विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक है, बल्कि शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य को भी पूर्ण करता है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में अन्तर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केन्द्र के निदेशक प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि ‘अच्छे शिक्षक ही अच्छे विद्यार्थी तैयार करेंगे’। शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य चरित्र निर्माण है और इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शिक्षक को अपनी भूमिका पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह कर्ज है जिसे हम पिछली पीढ़ी से पाते हैं और अगली पीढ़ी को चुकाते हैं। प्रो. सुभाष चन्द्र तिवारी ने कहा कि शिक्षक का कार्य सूचना देना नहीं, जबकि विद्यार्थियों में नैतिकता व मूल्य की शिक्षा से उनमें राष्ट्र प्रेम की भावना का उदय करना होता है।
प्रो. राम किशोर त्रिपाठी, प्रो. राजनाथ उपाध्याय, प्रो. अरविन्द कुमार पाण्डेय, प्रो. हरीन्द्र प्रसाद सिंह, प्रो. गीता राय ने भी विचार रखा। इस अवसर पर केंद्र का परिचयात्मक वृत्ति चित्र व प्रो. जे. एस. राजपूत के भाषण का संक्षिप्त अंश भी प्रस्तुत किया गया। मंगलाचरण डॉ. राजा पाठक, अतिथियों का स्वागत प्रो. आशीष श्रीवास्तव (संकाय अध्यक्ष, शैक्षणिक व शोध), धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजय कुमार सिंह, संचालन डॉ. सुनील कुमार त्रिपाठी ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी