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भाेपाल, 4 सितंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने बुधवार काे छिंदवाड़ा में बड़ा बयान दिया। जिला कांग्रेस कार्यालय में आयोजित मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद की बैठक और सम्मान समारोह में सिंघार ने कहा था कि 'मैं गर्व से कहता हूं कि हम आदिवासी हैं, हिंदू नहीं। यह बात मैं कई साल से कहता आ रहा हूं'। उनके इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में नया बवाल खड़ा कर दिया है। विवाद बढ़ता देख उमंग सिंगार ने सफाई दी है।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने गरुवार काे बयान जारी कर कहा कि आदिवासी समाज भारत की सबसे प्राचीन और गौरवशाली सभ्यताओं का प्रतिनिधि है। हमारी मौलिक परंपराएँ, संस्कृति और पूजा-पद्धति हजारों वर्षों से चली आ रही हैं और आज भी उतनी ही जीवित और प्रासंगिक हैं। संविधान ने भी इस विशिष्ट पहचान को मान्यता दी है। उन्होंने आदिवासी परंपराएं, रीति-नीति और अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाें का उदाहरण देते हुए कहा कि संविधान में अनुसूचित जनजातियों के लिए अनुच्छेद 244, 275 और पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं। ये अधिकार इसी आधार पर दिए गए हैं कि आदिवासी समुदाय सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से अलग और विशिष्ट हैं।
उमंग सिंघार ने आगे कहा कि “मेरा कहना बिल्कुल स्पष्ट है—मैं आदिवासी समाज की अस्मिता, गौरव और उनकी स्वतंत्र धार्मिक पहचान का सम्मान करता हूँ। आदिवासी समाज अपनी प्रकृति-आधारित आस्था, जीवन-शैली और संघर्षशील परंपराओं के साथ इस देश की असली ताकत है।”
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म का सम्मान हमारे लिए उतना ही है, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि आदिवासी अपनी परंपराओं और मान्यताओं के साथ अलग और विशिष्ट हैं। हमारी राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता या वोट नहीं है, बल्कि इन्हीं परंपराओं को संरक्षित, सशक्त और सम्मानित करना है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपने गौरवशाली इतिहास और संस्कृति पर गर्व कर सकें।
नेता प्रतिपक्ष सिंगार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी की सबसे बड़ी दिक़्क़त यही है कि वह कभी भी आदिवासियों को पूरी तरह अपना नहीं मानती। बीजेपी और उसकी संस्थाओं से जुड़े लाेग आदिवासियों को “वनवासी हिंदू” कहकर हिंदू धर्म में शामिल करने की रणनीति चला रही हैं, जिससे आदिवासियों की राजनीतिक स्वायत्तता और प्रतिरोध की ताकत कमजोर होती है। साथ ही उनका उद्देश्य आरक्षण को समाप्त करना है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज इस देश के मूल निवासी हैं। उनकी संस्कृति और परंपरा हजारों साल पुरानी और विश्व की सबसे प्राचीन परंपराओं में से एक है। उनकी आस्था प्रकृति, जंगल और धरती से जुड़ी हुई है, जो उन्हें अलग और विशिष्ट बनाती है। संविधान ने आदिवासियों की अलग पहचान और उनके अधिकारों को स्पष्ट रूप से मान्यता दी है। सिंघार ने कहा कि “मेरा ध्येय आदिवासी अस्मिता की रक्षा, गौरव की स्थापना और संस्कृति का संरक्षण है। बीजेपी आदिवासी अस्मिता को मान्यता देने से हमेशा बचती रही है, उनके लिए आदिवासी सिर्फ वोट बैंक हैं।”
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हिन्दुस्थान समाचार / नेहा पांडे