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पलवल, 3 सितंबर (हि.स.)। पलवल में बुधवार की शाम यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान के करीब पहुँच गया है। इससे खादर क्षेत्र के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। बुधवार शाम तक बाढ़ का पानी कई गांवों के खेतों में घुस चुका था। जिला प्रशासन ने हालात को गंभीर मानते हुए इंदिरा नगर और मोहबलीपुर गांवों को पूरी तरह खाली करा लिया। दोनों गांवों के करीब 600 ग्रामीणों को सुरक्षित निकालकर मुस्तफाबाद और अच्छेजा के सरकारी स्कूलों में बनाए गए राहत शिविरों में भेजा गया है। इन शिविरों में प्रशासन की ओर से खाने-पीने, सोने और मवेशियों की देखभाल की विशेष व्यवस्था की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अचानक आई बाढ़ ने उन्हें परेशान तो किया, लेकिन प्रशासन की तत्परता से उन्हें समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया गया।
हथिनी कुंड बैराज से सोमवार को छोड़ा गया 3 लाख 39 हजार क्यूसेक पानी बुधवार को पलवल पहुँचा। इसके बाद प्रशासन ने एहतियातन यमुना किनारे बसे 20 गांवों को अलर्ट पर रखा है। प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से अपील की गई है कि वे स्थिति को हल्के में न लें और जरूरत पड़ने पर तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाएं।
जिला उपायुक्त एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ खुद ट्रैक्टर पर बैठकर प्रभावित इलाकों का मुआयना करने पहुँचे। उन्होंने इंदिरा नगर, मुस्तफाबाद और मोहबलीपुर में ग्रामीणों से बातचीत की और उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार और प्रशासन हर कदम पर उनके साथ खड़ा है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे किसी भी तरह का जोखिम न लें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
इस बीच, खेतों में पानी भर जाने से धान, बाजरा और अन्य फसलें डूब चुकी हैं। किसानों को हो रहे नुकसान को देखते हुए सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल 10 सितंबर तक खोल दिया है। जिले के 59 गांवों के किसान इस पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं। उपायुक्त ने बताया कि हर प्रभावित किसान को उसकी क्षति का उचित मुआवजा दिया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि हर साल बाढ़ का संकट उनकी जिंदगी को प्रभावित करता है, मगर इस बार प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई कर राहत दी है। इंदिरा नगर और मोहबलीपुर गांवों को खाली कराना प्रशासन का एहतियाती कदम साबित हुआ है, जिससे किसी भी बड़ी दुर्घटना को टाल दिया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / गुरुदत्त गर्ग