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--आटो से शव ले जाने के मामले में बड़ी कार्रवाई
हमीरपुर, 03 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिला मुख्यालय के जिला अस्पताल में बुखार से पीड़ित एक मजदूर की मौत होने के बाद चिकित्सकों ने मानवीय संवेदनाएं तार-तार कर दी है। जिला अस्पताल से वाहन न मिलने पर परिजन कई घंटे तक भटकते रहे। आखिर में परिजन एक हजार रुपये किराए पर आटो से शव गांव ले गए। इस मामले में आज बुधवार को जिलाधिकारी घनश्याम मीना ने जिला अस्पताल की इमरजेंसी के ईएमओ व डाँक्टर समेत पूरे स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए वेतन रोकने के आदेश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि, पड़ोसी जालौन (उरई) जिले के कदौरा क्षेत्र के चंदरसी गांव के रहने वाले रामसेवक (51) पुत्र स्वामीदीन को बुखार से पीड़ित होने पर पिछले दिनों यहां जिला अस्पताल की इमरजेंसी लाया गया था। जहां डाँक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था। परिजनों के मुताबिक रामसेवक दिल्ली में मजदूरी करता था। बुखार आने पर ये वहां से अपने गांव लौट आया था। मृतक के पुत्र अक्षत कुमार ने बताया कि बुखार जैसी बीमारी ठीक न होने पर परिजन उसे हमीरपुर जिला अस्पताल लेकर आए थे, लेकिन इलाज से पहले ही रामसेवक ने दम तोड़ दिया। बताया कि शव घर ले जाने के लिए कोई भी सरकारी वाहन नहीं मिला जिससे एक आटो से शव ले जाने को मजबूर होना पड़ा। एक हजार रुपये किराया भी आटो वाले ने ले लिया। जिला अस्पताल से लेकर सिटी फारेस्ट तक सड़क पर आटो से शव ले जाते देख राहगीर भी शर्मसार हो गए।
यह मामला संज्ञान में आते ही डीएम घनश्याम मीना आज बुधवार को एक्शन मोड में आ गए। उन्हाेंने जिला अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही काे लेकर सीएमएस को कड़ी फटकार लगाई। उनके निर्देश पर सीएमएस डाँ.एसपी गुप्ता ने इमरजेंसी में तैनात डाँ.महेन्द्र कुमार सिंह, ईएमओ डाँ. श्रीमती स्नेहलता, चीफ फार्मेसिस्ट धर्मेन्द्र सिंह, आउटसोसिंग स्टाफ नर्स सत्येन्द्र, ओटी स्टाफ नर्स आउटसोसिंग अंकित आदि स्टाफ की सितम्बर माह की पगार रोकने के आदेश कर दिए हैं। इसके साथ ही इन सभी लापरवाह चिकित्सकों से स्पष्टीकरण मांगा है। डीएम ने बताया कि अग्रिम आदेशों तक इमरजेंसी के पूरे स्टाफ का वेतन रोका गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज मिश्रा