मनरेगा को गांवों में और कारगर बनाएंगा पोर्टल युक्तधारा
लखनऊ, 03 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मार्गदर्शन में मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता व निगरानी के लिए अभिनव कार्य किये जा रहे हैं। उनके निर्देशन में मनरेगा की व्यवस्था के बहुत ही सार्थक व सकारात्मक परिणाम निखर कर
मनरेगा को गांवों में और कारगर बनाएंगा पोर्टल युक्तधारा


लखनऊ, 03 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मार्गदर्शन में मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता व निगरानी के लिए अभिनव कार्य किये जा रहे हैं। उनके निर्देशन में मनरेगा की व्यवस्था के बहुत ही सार्थक व सकारात्मक परिणाम निखर कर आ रहे हैं। मनरेगा के कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए और मजदूरों के भुगतान में हेराफेरी न होने पाये, इस दिशा में अभिनव कार्य किये जा रहे हैं। इसी क्रम में ‘युक्तधारा पोर्टल’ लांच किया जा रहा है। “युक्तधारा” पोर्टल महात्मा गांधी नरेगा को और भी पारदर्शी बनाएगा।

आयुक्त ग्राम विकास विभाग जीएस प्रियदर्शी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2026-27 से मनरेगा के सभी कार्य युक्तधारा पोर्टल पर अपलोड किये जाएंगे। इस पोर्टल पर हर कार्य की कार्ययोजना, स्थान, लागत और प्रगति का पूरा ब्योरा दर्ज होगा। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआइएस) आधारित योजना तैयार की जाएगी। यानी किस गांव में, किस जगह, कितने क्षेत्रफल में और कितनी लागत से कार्य होना है, यह पूरी जानकारी मानचित्र पर दर्ज रहेगी। इससे न तो एक ही जगह दोबारा काम दिखाया जा सकेगा और न ही अतिरिक्त भुगतान की कोई संभावना रहेगी। ग्रामीणों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। गांवों में जो भी कार्य होंगे, उनकी जानकारी अब खुले तौर पर उपलब्ध रहेगी।

युक्तधारा पोर्टल से योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ेगी और गड़बड़ी को कोई गुंजाइश नहीं बचेगी। ग्रामीणों को भरोसे के साथ समय पर रोजगार और विकास कार्यों का लाभ मिलेगा। यह पोर्टल महात्मा गांधी नरेगा के तहत ग्रामीण विकास कार्यों की योजना और कार्यान्वयन के लिए एक संरचित तथा भागीदारीपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह प्रक्रिया ग्राम पंचायत योजनाकार के सिस्टम में लॉग इन करने और लैंडस्कैप परिचयकरण से शुरू होती है-यह एक आवश्यक कदम है, जिसमें गांव की भौगोलिक तथा विषयगत विशेषताओं की खोज कई जीआईएस-आधारित मानचित्र परतों के माध्यम से की जाती है। इनमें प्रशासनिक सीमाएं, भूमि उपयोग पैटर्न, मिट्टी क्षरण क्षेत्र, भूजल उपलब्धता तथा उपग्रह इमेजरी शामिल हैं, जो सामूहिक रूप से सूचित निर्णय लेने में सहायता प्रदान करते हैं। इसके पश्चात, उपयोगकर्ता Geographically Analyzable Works (GIS-आधारित सम्पत्ति कार्य) तथा गैर-GAW श्रेणियों के अंतर्गत गतिविधियों की पहचान करते हैं। GAW गतिविधियों के लिए, सिस्टम पूर्वनिर्धारित नियम सेटों के आधार पर सम्भावित स्थानों का सुझाव देता है।

युक्तधारा के बेहतर क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर से समस्त जनपदों को बैच वाइज प्रशिक्षण जूम मीटिंग के माध्यम से 18 अगस्त से 22 अगस्त तक प्रदान किया गया। वर्तमान में समस्त जनपद अपने स्तर पर ब्लॉक और ग्राम पंचायत के अधिकारी/कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशाला आयोजित कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / मोहित वर्मा