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गुवाहाटी, 03 सितम्बर (हि.स.)। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के तहत राज्य में अब तक केवल तीन लोगों को ही भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार को अब तक कुल 12 आवेदन मिले हैं, जिनमें से तीन को मंजूरी दी गई है, जबकि नौ मामलों पर विचार चल रहा है। उन्होंने कहा, सीएए को लेकर यह कहा गया था कि 20–25 लाख लोग नागरिकता लेंगे। लेकिन आज तक केवल 12 आवेदन ही आए हैं। अब आप स्वयं तय करें कि इस मुद्दे पर इतना हंगामा क्यों हुआ था।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि पहले लाभार्थी के रूप में 50 वर्षीय दुलोन दास को अगस्त 2024 में नागरिकता मिली थी। वह असम के पहले व्यक्ति बने जिन्हें संशोधित कानून के तहत यह लाभ मिला।
सीएए के प्रावधानों के अनुसार हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोग, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए और कम से कम पांच वर्ष से रह रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।
यह कानून दिसंबर 2019 में संसद से पारित हुआ था लेकिन इसके नियमों के अधिसूचित होने के बाद 11 मार्च 2024 से लागू किया गया। केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक आवेदन लंबित हैं तब तक गैर-मुस्लिम अवैध प्रवासियों के मामलों को विदेशियों के न्यायाधिकरण में नहीं भेजा जाएगा।
असम में अब तक सिर्फ तीन नागरिकता मंजूरी मिलने से यह साफ है कि राज्य में सीएए का प्रभाव अनुमान से कहीं कम है, हालांकि राजनीतिक बहस इससे थमी नहीं है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश