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भोपाल, 3 सितम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में बुधवार को डोल ग्यारस का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर जगह-जगह डोल जुलूस निकाले गए, बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। डोल के साथ में झांकियां भी रहीं। शाम को डोल निकलने का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर रात तक जारी रहा। प्रदेश में हो रही बारिश में भी लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ।
उज्जैन में बुधवार को डोल ग्यारस पर शाम चार बजे से भैरवगढ़ क्षेत्र स्थित बाबा महाकाल के सेनापति श्री काल भैरव मंदिर से बाबा काल भैरव की सवारी राजसी वैभव के साथ धूमधाम से निकली। इस दौरान रात में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी उज्जैन के डोल ग्यारस समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री तीन बत्ती चौराहे से टॉवर चौक तक पैदल चले। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बैरवा समाज के प्रत्येक अखाड़े को 11-11 हजार रुपये की राशि और सभी झांकियों को 25-25 हजार रुपये की राशि देने की घोषणा की। स्वागत मंचों पर जगह-जगह मुख्यमंत्री डॉ. यादव का पुष्पमाला और साफा पहनाकर स्वागत किया गया |
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि डोल ग्यारस की प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं।अयोध्या में श्री राम मुस्कुरा रहे हैं और अब भगवान ने चाहा तो जल्द ही मथुरा में भी गोपाल कृष्ण मुस्कराएंगे।
उज्जैन में सवारी निकलने के पहले कलेक्टर और एसपी ने काल भैरव की प्रतिमा का पूजन आरती कर पालकी को कंधा लगाकर सवारी को आगे बढ़ाया। भगवान काल भैरव का पूजन कर सिंधिया एस्टेट की ओर से आई नई लाल पगड़ी धारण कराई गई।
वही राजधानी भोपाल के गली-मोहल्लों में डोल ग्यारस की धूम रही। यहां बारिश के बीच भगवान के डोल निकाले गए। बारिश के बीच ही लोगों ने आस्था के साथ पूजन की। इसके सथ ही गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी शुरू हो गया है। प्रेमपुरा, रानी कमलापति, शाहपुरा समेत सभी 7 घाटों पर मूर्तियों का विसर्जन हो रहा है। यहां नगर निगम ने सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए हैं। इंदौर में भी डोल ग्यारस को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। डोल के बीच में लोग विंटेज कार की सवारी का भी आनंद ले रहे हैं।
मंडला के आजाद वार्ड में स्थित 150 साल पुराने श्री राधा-कृष्ण मंदिर में डोल ग्यारस के पर्व पर भगवान कृष्ण की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस मंदिर की जल विहार परंपरा अनूठी है, जहां राधा-कृष्ण की बजाय केवल भगवान कृष्ण को रस्सियों से बांधकर डोले में नर्मदा नदी में जल विहार के लिए ले जाया जाता है।
गुना में डोल ग्यारस पर चल समारोह निकाला गया। शहर के हाट रोड पर चल समारोह में बड़ी झाकियां शामिल हुईं। इसके अलावा घरों में विराजित किए गए भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन करने लोग सिंगवासा और भुजरिया तालाब पहुंचे। इस दौरान कई दौर की हुई बारिश ने इसमें जरूर खलल डाला।
डोल ग्यारस के अवसर पर देवास के हाटपीपल्या में नृसिंह घाट पर भगवान नृसिंह की साढ़े 7 किलो वजनी पाषाण मूर्ति भमोरी नदी में तैराई गई। मूर्ति दो बार तैरी। मूर्ति के तैरते ही घाट पर मौजूद हजारों लोगों ने भगवान नृसिंह के जयकारे लगाए।
मंदसौर जिले के गरोठ और शामगढ़ में जल झूलनी एकादशी पर शोभायात्रा निकाली गई। नगर के सभी मंदिरों से भगवान की पालकी और विमान निकाले गए। गरोठ में सब्जी मंडी और शामगढ़ में मुख्य स्थानों पर श्रद्धालु एकत्रित हुए। शोभा यात्रा गांधी चौक, रामपुर दरवाजा, तीन सड़क और बोलियां नाका होते हुए अंजनी नदी तट पर पहुंची। यहां सामूहिक आरती का आयोजन किया गया। शामगढ़ में वेवाण के साथ विभिन्न झांकियां निकाली गईं। कलाकारों ने धार्मिक नृत्य प्रस्तुत किए।
डोल ग्यारस के उपलक्ष्य में बुधवार शाम को टीकमगढ़ जिले के बल्देवगढ़ में अलग-अलग मंदिरों से भगवान के विमान निकाले गए। लोग प्राचीन किला परिसर से होते हुए नगर के ग्वाल सागर तालाब पहुंचे। जहां विधि विधान से भगवान की प्रतिमाओं को जल विहार कराया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर