भारत में टिकाऊ विमान ईंधन का निर्यातक बनने की क्षमताः राममोहन नायडू
नई दिल्‍ली, 03 सितंबर (हि.स)। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने बुधवार को कहा कि भारत में न केवल सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) की अपनी मांग को पूरा करने की क्षमता है, बल्कि वह एक निर्यातक के रूप में भी उभर सकता है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के लोगो का प्रतीकात्‍मक चित्र


नई दिल्‍ली, 03 सितंबर (हि.स)। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने बुधवार को कहा कि भारत में न केवल सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) की अपनी मांग को पूरा करने की क्षमता है, बल्कि वह एक निर्यातक के रूप में भी उभर सकता है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जारी एक बयान में बताया कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने अंतरराष्‍ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के साथ साझेदारी में और यूरोपीय संघ के समर्थन से यहां भारत के लिए सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) व्यवहार्यता अध्ययन को जारी करने के अवसर पर यह बात कही।

नायडू ने कहा कि भारत के पास टिकाऊ विमानन ईंधन (एसएएफ) का निर्यातक बनने की क्षमता है, जो कार्बन उत्सर्जन कम करने का एक व्यावहारिक समाधान है। उन्‍होंने कहा कि देश में 75 करोड़ टन से अधिक बायोमास और करीब 23 करोड़ टन अतिरिक्त कृषि अवशेष उपलब्ध हैं।

उन्‍होंने इस अध्ययन का जिक्र करते हुए कहा कि एसएएफ विमानन क्षेत्र को कार्बन-मुक्त करने के लिये एक व्यावहारिक और त्वरित समाधान है, जो पारंपरिक ईंधन की तुलना में कार्बन उत्सर्जन को 80 फीसदी तक कम कर सकता है। मंत्री ने कहा कि भारत वर्ष 2027 तक एटीएफ में एक फीसदी, 2028 तक दो फीसदी और 2030 तक पांच फीसदी एसएएफ के मिश्रण का लक्ष्य लेकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

मंत्रालय के मुताबिक इस समारोह को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू, नागरिक उड्डयन सचिव समीर कुमार सिन्हा, नागरिक उड्डयन महानिदेशक फैज अहमद और आईसीएओ के वायु परिवहन ब्यूरो में पर्यावरण उप निदेशक जेन हूपे ने संबोधित किया।

उल्‍लेखनीय है कि बायोमास की श्रेणी में ऐसे प्राकृतिक संसाधन आते हैं जिनका इस्तेमाल ऊर्जा एवं ईंधन उत्पादन के लिए किया जा सकता है। इनमें कृषि अवशिष्ट, वानिकी उपज, पशु अपशिष्ट और अन्य जैविक पदार्थ शामिल हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर