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हिसार, 3 सितंबर (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई उन्नत किस्मों का बीज अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ समझौते किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा इजाद की गई हाइब्रिड बाजरा की उन्नत किस्में एचएचबी 299 और 67 संशोधित 2 का श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर सीड्स करनूल, आंध्रप्रदेश के साथ समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।कुलपति प्रो.बीआर कम्बोज ने बुधवार काे बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा लगातार विभिन्न फसलों की उन्नत किस्में विकसित की जा रही हैं। विकसित की गई किस्में न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी अपना परचम लहरा रही है। उन्होंने बताया कि किसानों को कम लागत में अधिक पैदावार मिले इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा गत चार वर्षो के दौरान 50 से अधिक उन्नत किस्में विकसित की गई हैं।इस कंपनी के साथ हुआ समझौताविश्वविद्यालय का श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर सीड्स करनूल, आंध्रप्रदेश की कंपनी के साथ कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। विश्वविद्यालय से समझौता ज्ञापन पर अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने तथा कंपनी से पी. सीएच. शंकरप्पा ने हस्ताक्षर किए। बाजरा अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित एचएचबी 299 किस्म में अन्य किस्मों की तुलना में अधिक पैदावार मिलती है तथा यह रोगरोधी भी है। यह बाजरा की अधिक लौह युक्त (73 पीपीएम) संकर किस्म है। इसके सिट्टे शंक्वाकार व मध्यम लंबे होते हैं। एचएचबी 299 किस्म 80-82 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। अच्छा रख रखाव करने पर यह किस्म 49.0 मन प्रति एकड़ तक पैदावार देने की क्षमता रखती है। यह किस्म जोगिया रोगरोधी है।
एचएचबी-67 संशोधित-2 किस्म पहले वाली किस्म एचएचबी 67 संशोधित का जोगिया रोग प्रतिरोधी उन्नत रूपांतरण है। यह संकर किस्म हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के बारानी क्षेत्रों में आम काश्त के लिए 2021 में अनुमोदित की गई थी। एचएचबी-67 संशोधित के नर जनक एच 77/833-2-202 को चिन्हित (मार्कर) सहायक चयन द्वारा जोगिया रोग प्रतिरोधी बनाया गया है। इस नई विकसित संकर किस्म एचएचबी-67 संशोधित-2 में एचएचबी 67 संशोधित के सभी गुण जैसे अतिशीघ्र पकना, शुष्क रोधिता, दाने व चारे की अच्छी गुणवत्ता, अगेती, मध्यम व पछेती बुवाई के लिए उपयुक्तता आदि विद्यमान हैं। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. पवन कुमार, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश कुमार, डॉ. विनोद मलिक, डॉ. रामअवतार, आईपीआर सेल के प्रभारी डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. रेणु मुंजाल व डॉ. जितेन्द्र भाटिया उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर