नवीन संदर्भों में ‘एकात्म मानववाद’ का स्वर
डॉ. शिवानी कटारा आज की दुनिया विज्ञान और वैश्वीकरण की उजली आभा में नहाई हुई है, पर भीतर कहीं असंतुलन और असंतोष की रेखाएँ भी गहरी हो चली हैं। ऐसे समय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का ‘एकात्म मानववाद’ आशा की किरण बनकर मार्ग दिखाता है। यह दर्शन अतीत की स

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