हृदयनारायण दीक्षित
पूर्वजों पितरों के प्रति श्रद्धापूर्णता राष्ट्रजीवन की श्रद्धा रही है। जीवन की सांझ आ गई है। पक्षी कलरव कर चुके। प्रकृति विश्राम करने जा रही है, लेकिन बूढ़े लोग जीवन की सांझ में अकेले हैं। पुत्र उनकी उपेक्षा करते हैं। अपमान करते है
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