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- केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज ने संसदीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक को किया संबोधित भोपाल, 02 सितंबर (हि.स.)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरे पास स्वेच्छानुदान एक बड़ा माध्यम था लोगों की मदद के लिए। जब भी किसी मरीज को ज्यादा पैसों की जरूरत होती थी, तो मैंने किसी से मांगकर भी उसकी व्यवस्था कराई। बीमार व्यक्ति की सेवा मेरे लिए राजनीति से ऊपर है। उन्होंने कहा कि पीड़ित मानवता की सेवा, खासकर इलाज के समय, हर जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता का नैतिक कर्तव्य है। शिवराज ने कहा कि चाहे कोई बूथ स्तर का कार्यकर्ता हो या गांव का सामान्य निवासी, अगर वह संकट में है, तो उसकी मदद करना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री शिवराज मंगलवार को राजधानी भोपाल स्थित रवीन्द्र भवन में 'सांसद खेल महोत्सव' के आयोजन के लिए विदिशा-रायसेन संसदीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने जनसेवा, विशेषकर बीमारों की मदद को अपनी प्राथमिकता बताया। इस बैठक में मंत्री करण सिंह वर्मा, विधायक रमाकांत भार्गव, हरि सिंह सप्रे, हरि सिंह रघुवंशी, आशीष शर्मा समेत सीहोर और रायसेन जिलों के भाजपा पदाधिकारी उपस्थित रहे। शिवराज ने सभी कार्यकर्ताओं से जनसेवा को ही अपना सबसे बड़ा उद्देश्य मानने का आह्वान किया।
केंद्रीय ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था, तो स्वेच्छानुदान मेरे पास एक बड़ा साधन था। लेकिन अब भी जब जरूरत पड़ी और इलाज के लिए ज्यादा पैसे लगे, तो मैंने किसी से मांगकर भी व्यवस्था कराई। मेरा मानना है कि किसी भी हालत में मरीज का इलाज रुकना नहीं चाहिए, चाहे कुछ भी करना पड़े। केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा कि हमारा परम कर्तव्य है कि यदि हमारे संसदीय क्षेत्र में कोई गंभीर रूप से बीमार है और इलाज कराने में असमर्थ है, तो हम उसे हर हाल में इलाज दिलाएं। ऐसा कभी न हो कि कोई यह कहे कि काश मेरे पास पैसे होते तो हम पूरी ताकत से उसकी मदद में लगेंगे और उसे बचाएंगे।
केन्द्रीय मंत्री शिवराज ने सुनाई प्रेरक घटना
बैठक के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने एक प्रेरक घटना सुनाई। उन्होंने कहा कि मैं आपको एक छोटी सी लेकिन बहुत प्रेरक घटना बताता हूं। भेरुंदा या लाड़कुई मंडल के सुकरवास गांव में महेन्द्र मेहरा नाम के 15-16 साल के एक बच्चे का एक्सीडेंट हो गया। उसके पिता बेहद गरीब थे। उस वक्त मैं दिल्ली और कर्नाटक के दौरों पर था। जब बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया, तो इलाज का बिल 5 लाख से ज्यादा हो गया। इतने पैसे किसी माध्यम से तुरंत नहीं आ सकते थे। ऐसे में गांव के लोगों ने फैसला किया कि जितना बन सके, चंदा देंगे। किसी ने 10 रुपये दिए तो किसी ने 21 हजार तक। इस तरह पूरे गांव ने मिलकर करीब 2 लाख रुपये इकट्ठा कर लिए।
शिवराज ने कहा कि मैं उस गांव को प्रणाम करता हूं, क्योंकि आमतौर पर लोग केवल मौखिक सहानुभूति दिखाते हैं, लेकिन जब पैसे देने की बात आती है तो पीछे हट जाते हैं। लेकिन इस गांव ने सच में इंसानियत दिखाई, चंदा जुटाया, कोशिश की, और मुझे भी फोन किया। उन्होंने आगे कहा कि जब मुझे पता चला कि इलाज के लिए 5 लाख रुपये से ज्यादा की जरूरत है, तो मैंने दिल्ली से ही अस्पताल से बात की। मैं ये सोचकर आया था कि चाहे जो हो जाए, बच्चे को हर हाल में बचाना है। जब गांव वाले इतनी मेहनत कर रहे हैं, तो मुझे भी किसी भी स्रोत से पैसे लाकर मदद करनी ही होगी। यही भावना लेकर मैं आया था।
अस्पताल ने आयुष्मान योजना में जताई मजबूरी
शिवराज सिंह ने कहा कि मैंने अस्पताल जाकर पूछा कि क्या बच्चे के पास आयुष्मान कार्ड है? जब उन्होंने बताया कि है, तो मैंने सवाल किया कि फिर इसका उपयोग क्यों नहीं हो रहा। जवाब मिला कि अगर केवल एक फ्रैक्चर होता तो कार्ड चल जाता, लेकिन इसमें मल्टीपल फ्रैक्चर हैं। उन्होंने आगे बताया कि मैंने तुरंत आयुष्मान योजना के जिम्मेदार अधिकारी को फोन लगाया। बातचीत के बाद कार्ड को स्वीकृति मिली और 5 लाख रुपये तक की राशि की तत्काल व्यवस्था हो गई। इसके बाद गांववालों के इकट्ठे किए पैसे वापस कर दिए गए। लेकिन उन्होंने पैसा लेने से इनकार कर दिया और कहा कि अब ये रकम बच्चे के खाते में ही जमा कर दी जाए।
हर दिन 5-10 जिंदगियां बचाने की कोशिश करता हूं
उन्होंने कहा कि हर दिन 5 से 10 ऐसे लोग आते हैं जिन्हें बचाना जरूरी होता है। मैं जी-जान लगाकर कोशिश करता हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि उनकी सेवा करना ही सच्चे अर्थों में भगवान की पूजा है। उन्होंने आगे कहा कि गरीब, मध्यम वर्ग और किसानों की मदद के लिए कई माध्यम हैं। जैसे- स्वेच्छानुदान, एम्स जैसा अस्पताल जो हमारे पास है, उसका बेहतर उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि वह भारत सरकार का है। साथ ही, प्राइवेट अस्पतालों में भी 'आयुष्मान भारत' योजना के तहत इलाज संभव है। हमें इन संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।
आयुष्मान कार्ड के जरिए हर जरूरतमंद को इलाज दिलाना हमारा संकल्प है
उन्होंने कहा कि मैं आज आयुष्मान कार्ड के उपयोग को लेकर एक प्रजेंटेशन करवाना चाहता हूं, जिससे सबको यह स्पष्ट हो कि इसका सही इस्तेमाल कैसे किया जाए। कौन-कौन से अस्पताल हैं जहां यह कार्ड मान्य है और अगर कोई अस्पताल इलाज से मना करे तो उस स्थिति में क्या करना चाहिए, इस पर सभी को जानकारी होनी चाहिए। मुझे लगता है कि बड़े इलाज की जरूरत हो, तो उसका सबसे अच्छा माध्यम आयुष्मान कार्ड ही है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है, तो उसके लिए शिविर लगाए जा रहे हैं ताकि हर जरूरतमंद को यह सुविधा मिल सके और यदि फिर भी कोई ऐसी परिस्थिति आती है जहां आयुष्मान योजना से इलाज नहीं हो पाता, तो हम स्वेच्छानुदान से मदद करेंगे। जरूरत पड़ी तो मैं खुद इंतजाम करूंगा। लेकिन धन की कमी से किसी को मरने नहीं देंगे। यही हमारा संकल्प है और इसी सेवा भाव से हम अपने संसदीय क्षेत्र में काम करेंगे।__________
हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत