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शिमला, 02 सितंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का 12 दिवसीय मॉनसून सत्र मंगलवार को संपन्न हो गया। ये विधानसभा का चौथा लंबा मॉनसून सत्र रहा। इस सत्र में 11 विधेयक सदन में पारित हुए। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बताया दी कि सत्र के दौरान कुल 59 घंटे कामकाज हुआ और सदन की उत्पादकता 98 प्रतिशत दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि इस दौरान 509 तारांकित और 181 अतारांकित प्रश्न पूछे गए। नियम 62 के तहत 12 और नियम 63 के तहत एक विषय पर चर्चा हुई। गैर-सरकारी सदस्य दिवस पर तीन संकल्पों पर चर्चा हुई, जिनमें से दो संकल्प वापस ले लिए गए जबकि एक को पारित किया गया।
अध्यक्ष ने कहा कि नियम 102 के तहत पारित सरकारी संकल्प के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया गया। नियम 130 के तहत छह विषयों पर चर्चा हुई, वहीं 11 विधेयक पारित किए गए और एक विधेयक सरकार ने वापस ले लिया। शून्यकाल में कुल 43 विषय उठाए गए जबकि नियम 324 के तहत पांच मुद्दे सामने आए। नियम 67 के अंतर्गत विपक्ष के कामरोको प्रस्ताव पर भी सदन में लंबी चर्चा हुई। सत्र के दौरान विधानसभा की विभिन्न समितियों ने 47 प्रतिवेदन सदन में पेश किए।
कुलदीप पठानिया ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्र के दौरान 4 घंटे 55 मिनट तक अपनी बात रखी, जबकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने 2 घंटे 55 मिनट अपनी बात सदन में रखी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने समापन अवसर पर कहा कि भविष्य में मॉनसून सत्र सितंबर माह में आयोजित किया जाना चाहिए ताकि बरसात की बाधाओं से बचा जा सके और सभी सदस्य खुले मन से चर्चा कर सकें। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में प्राकृतिक आपदाएं बार-बार आ रही हैं, इसलिए इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने विपक्ष से अपील की कि वह भी अपने स्तर पर दिल्ली जाकर केंद्र सरकार से हिमाचल के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग करे। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रदेश इस समय भयंकर आपदा के साथ-साथ आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा है और राज्य की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में समय लगेगा।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने समापन अवसर पर मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वह विपक्ष को कोसने की बजाय सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि सरकार के तीन साल बीत चुके हैं और अब समय है कि ठोस कदम उठाए जाएं। ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ आर्थिक आपदा से भी गुजर रहा है और ऐसे में विपक्ष का काम सवाल उठाना है। सरकार को विपक्ष की आलोचना को सहज रूप में स्वीकार करना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा