गोरखपुर विश्वविद्यालय को मिली पाँच महत्वपूर्ण शोध परियोजनाओं की स्वीकृति, 72 लाख रुपये का अनुदान
गोरखपुर, 2 सितंबर (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने एक बार फिर अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है। उत्तर प्रदेश राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (CSTUP) ने विश्व विद्यालय के विभिन्न विभागों के पाँच शोध
गोरखपुर विश्वविद्यालय को मिली पाँच महत्वपूर्ण शोध परियोजनाओं की स्वीकृति, कुल 72 लाख रुपये का अनुदान*


गोरखपुर, 2 सितंबर (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने एक बार फिर अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है। उत्तर प्रदेश राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (CSTUP) ने विश्व विद्यालय के विभिन्न विभागों के पाँच शोध प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान करते हुए कुल लगभग 72 लाख रुपये का शोध अनुदान स्वीकृत किया है। ये परियोजनाएँ जैव-प्रौद्योगिकी, रसायन विज्ञान और वनस्पति विज्ञान के अत्याधुनिक क्षेत्रों में नये आयाम स्थापित करेंगी।

1. पेक्टिनेज एंज़ाइम पर शोध

जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. दिनेश यादव को ₹15.36 लाख की तीन वर्षीय परियोजना “Mining of Pectinases Producing Novel Fungal Strains and Elucidating its Biotechnological Applications” प्रदान की गई है। इस परियोजना में नये फफूंदीय प्रजातियों की पहचान कर पेक्टिनेज एंज़ाइम उत्पादन तथा उसके खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, कागज, जैव ईंधन और पर्यावरण प्रबंधन में उपयोग पर शोध होगा। प्रो यादव ने कहा, “पेक्टिनेज एंज़ाइम सतत औद्योगिक नवाचार का आधार है। नवीन फफूंद प्रजातियों की खोज से औद्योगिक प्रक्रियाएँ अधिक दक्ष, पर्यावरण-अनुकूल और किफायती बन सकती हैं। यह शोध मूल विज्ञान को व्यावहारिक अनुप्रयोगों से जोड़ेगा।”

इससे पहले प्रो. यादव डीबीटी, डीएसटी, यूजीसी, सीएसटी उत्तर प्रदेश और यूपीसीएआर द्वारा वित्तपोषित 09 परियोजनाओं से प्रधान अन्वेषक/ सह-अन्वेषक/ मेंटर के रूप में जुड़े रहे हैं।

2. पित्ताशय कैंसर पर जीन अध्ययन

जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. शरद कुमार मिश्र को ₹15.36 लाख की परियोजना “पूर्वी उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में पित्ताशय कैंसर (गॉलब्लैडर कैंसर) से संबंधित जीन में आनुवंशिक परिवर्तनों का अध्ययन एवं प्रभावी निदान मार्कर का विकास” स्वीकृत हुई है। यह शोध पित्ताशय कैंसर की समय रहते पहचान हेतु जैव-चिह्न विकसित करने पर केंद्रित है।

3. आर्सेनिक-प्रतिरोधी धान किस्म पर अनुसंधान

वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजवीर सिंह चौहान को ₹15.36 लाख का अनुदान उनकी परियोजना “आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त कम आर्सेनिक संचय करने वाली कालानमक धान की किस्म का विकास” के लिए मिला है। इसका उद्देश्य गामा किरणों से उत्पन्न कालानमक धान की ऐसी किस्म विकसित करना है, जिसमें दानों में आर्सेनिक न्यूनतम हो। यह अनुदान उनकी शोध परियोजना आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त कम आर्सेनिक संचय करने वाली कालानमक धान की किस्म का विकास के लिए प्रदान किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य गामा किरणों से उत्पन्न कालानमक धान की ऐसी म्युटेंट किस्म विकसित करना है, जिसमें चावल के दानों में आर्सेनिक की मात्रा न्यूनतम हो। यह शोध न केवल खाद्य सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सुदृढ़ करेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश के आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों की समस्या का समाधान भी प्रस्तुत करेगा।

4. नैनोस्ट्रक्चर्ड मटेरियल्स आधारित सेंसर

रसायन विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. विनीता को ₹14.36 लाख का अनुदान उनकी परियोजना “नैनोस्ट्रक्चर्ड मटेरियल्स: विषैले धातु आयनों के लिए एक कुशल सेंसर” के लिए प्राप्त हुआ है। इस शोध में उच्च दक्षता वाले नैनोमैटेरियल्स आधारित सेंसर विकसित होंगे, जो जल में उपस्थित लेड और मरकरी जैसे विषैले धातु आयनों का परीक्षण कर सकेंगे।

5. औषधीय रसायन एवं क्षयरोग निरोधी यौगिकों पर अध्ययन

रसायन विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सर्वेश कुमार पाण्डेय को ₹12.26 लाख का अनुदान उनकी परियोजना “ग्रीन सिंथेसिस, ऐंटिट्यूबरकुलर सक्रियता एवं ट्रायाजोल व्युत्पन्नों के मायकोबैक्टीरियल INHA एंजाइम को लक्षित करने वाले आणविक डॉकिंग अध्ययन” के लिए स्वीकृत हुआ है। यह शोध क्षयरोग रोधी नए यौगिकों के विकास में सहायक होगा।

कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने सभी शोधकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा—“ये प्रतिष्ठित अनुदान हमारे विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक क्षमता को प्रमाणित करते हैं। यह दर्शाते हैं कि हमारा संस्थान क्षेत्रीय चुनौतियों के समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक शोध कर रहा है। खाद्य सुरक्षा, जनस्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और सतत औद्योगिक नवाचार के क्षेत्रों में यह शोध समाज और उद्योग दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।”

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय