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कोलकाता, 02 सितंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी द्वारा प्रसिद्ध कवि एवं गीतकार जावेद अख्तर के कार्यक्रम को टालने के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए उसे “कट्टरपंथियों के दबाव में झुकने” का आरोप लगाया है।
मामला, 31 अगस्त से शुरू होने वाले उर्दू अकादमी के चार दिवसीय सांस्कृतिक आयोजन का है, जिसमें जावेद अख्तर को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था, लेकिन कार्यक्रम से ठीक पहले इसे स्थगित करने का फैसला लिया गया। हालांकि अकादमी ने अख्तर के कार्यक्रम को रद्द करने के पीछे कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया है। अकादमी की सचिव नुजहत जैनब ने कहा कि “अनिवार्य परिस्थितियों” के कारण कार्यक्रम स्थगित किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कोलकाता इकाई ने अख्तर को मुख्य अतिथि बनाए जाने का विरोध किया था और इसके लिए अकादमी को पत्र भी लिखा था। संगठन के स्थानीय महासचिव जिलुर रहमान आरिफ ने कथित तौर पर इस आमंत्रण पर आपत्ति जताई थी।
भाजपा ने इसे ममता सरकार की तुष्टिकरण राजनीति से जोड़ा है। केंद्रीय शिक्षा तथा उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “क्या यह अंधाधुंध तुष्टिकरण का नतीजा है कि कट्टरपंथियों का फरमान ही अंतिम बन जाए? इस सवाल का जवाब केवल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही दे सकती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा, “चौंकाने वाली बात यह है कि बंगाल सरकार को ऐसे साम्प्रदायिक दबावों के आगे झुकना पड़ा, यहां तक कि जावेद अख्तर जैसे दिग्गज कवि की एंट्री पर भी सवाल उठे। असलियत जनता के सामने लाना ममता बनर्जी की जिम्मेदारी है।”
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हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर