नर्मदा परिक्रमा साधना और आत्मबोध का मार्गः डॉ भागवत
“सबमें भगवान है और भगवान में सब है” यह भाव ही भारतीय जीवन दर्शन का सार
इंदौर, 14 सितंबर (हि.स.)। “भारत का अस्तित्व भक्ति और आत्मीयता के भाव पर आधारित है। यही भारत का वास्तविक भाव है। जब तक हमारे जीवन और समाज में सर्वत्र चेतन्यता और पवित्रता का भाव
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