अज्ञान के कारण माया को ही शाश्वत समझ लेता है मनुष्य: नर्मदाशंकर
हरिद्वार, 12 सितंबर (हि.स.)। श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को कथा व्यास स्वामी नर्मदाशंकर पुरी जयपुर वालों ने कहा कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है, इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार

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