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वाशिंगटन (अमेरिका), 10 सितंबर (हि.स.)। ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ पर निचली अदालत के फैसलों के खिलाफ देश के उच्चतम न्यायालय में अपील की है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को ट्रंप प्रशासन के शीघ्र सुनवाई के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। निचली अदालत के फैसलों में राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप के कई व्यापक टैरिफ को अवैध बताया गया है।
सीएनबीसी न्यूज चैनल की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि वह नवंबर के पहले सप्ताह में मौखिक दलीलें सुनेगी। उसने इस सत्र के लिए एक घंटे का समय निर्धारित किया। अदालत ने दो अलग-अलग मामलों को एक साथ रखा। पहला मामले का वादी सात छोटे व्यवसाय करता है। दूसरा मामला 12 राज्यों की अपीलों से जुड़ा है। इन पर निचली अदालत का फैसला आ चुका है।
ट्रंप प्रशासन ने इनमें से एक मामले में शीघ्र सुनवाई की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि अगर न्यायालय अगले साल जून तक निचली अदालत के न्यायाधीशों के साथ सहमति जताते हुए यह फैसला सुनाता है कि ये शुल्क अवैध हैं, तो ट्रेजरी विभाग को एकत्रित शुल्कों में से 750 अरब डॉलर से 1 ट्रिलियन डॉलर तक वापस करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। उच्चतम न्यायालय की अपील में दांव पर पारस्परिक शुल्क हैं, जिनकी घोषणा ट्रंप ने दो अप्रैल को की थी।
ये शुल्क कई देशों के आयात पर 10 प्रतिशत की आधार रेखा से लेकर ब्राज़ील और भारत से आयात पर 50 फीसद तक हैं। कनाडा, चीन और मेक्सिको से कुछ आयातों पर 25 फीसद टैरिफ लगने का भी खतरा है। ट्रंप ने कहा है कि ये शुल्क उन देशों को अमेरिका में घातक दवा फेंटेनाइल के प्रवाह को बर्दाश्त करने के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए लगाए गए हैं।
अमेरिकी संघीय सर्किट अपील न्यायालय ने 29 अगस्त को 7-4 के बहुमत से दिए अपने फैसले में कहा था कि ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में कई देशों से आयात पर भारी शुल्क लगाकर टैरिफ लगाने के कांग्रेस के अधिकार का अतिक्रमण किया। ट्रंप ने ये शुल्क लगाते समय अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम का हवाला दिया। अपील न्यायालय ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय के एक फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान आयात को विनियमित करने का राष्ट्रपति का अधिकार बिना समाप्ति तिथि वाले विश्वव्यापी शुल्क लगाने का अधिकार नहीं देता।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद