रक्षाबंधन पर नाहन में आसमान रंगीन पतंगों से पटा
नाहन, 9 अगस्त (हि.स.)। सिरमौर जिला के मुख्यालय व ऐतिहासिक शहर नाहन में शनिवार को रक्षाबंधन का पर्व हर साल की तरह इस बार भी अनोखे अंदाज में मनाया गया। जहां देश के अधिकांश हिस्सों में भाई अपनी बहनों से राखी बंधवाकर रक्षा का वचन देते हैं, वहीं 1621 में
नाहन  में रक्षाबंधन पर होती है पतंगबाजी ,रियासतकालीन परम्परा आज भी कायम


नाहन, 9 अगस्त (हि.स.)। सिरमौर जिला के मुख्यालय व ऐतिहासिक शहर नाहन में शनिवार को रक्षाबंधन का पर्व हर साल की तरह इस बार भी अनोखे अंदाज में मनाया गया। जहां देश के अधिकांश हिस्सों में भाई अपनी बहनों से राखी बंधवाकर रक्षा का वचन देते हैं, वहीं 1621 में बसे नाहन में इस दिन पतंगबाजी का खास महत्व है।

सुबह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक राखी का त्योहार मनाने के बाद लोग घरों की छतों पर पहुंचकर पतंग उड़ाने लगे। शहर का आसमान दिनभर रंग-बिरंगी पतंगों से सजा रहा। इसमें युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। खास बात यह रही कि पतंगबाजी में हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी समुदाय के लोग मिलकर इस परंपरा को निभाते हैं। कई जगह डीजे की धुनों पर भी माहौल को खुशनुमा बनाया गया।

बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा रियासत काल से चली आ रही है। पहले पतंगबाजी रक्षा बंधन से दो महीने पहले शुरू हो जाती थी और मांजे से बनी सूती डोर का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब यह सिर्फ रक्षाबंधन तक सीमित रह गई है। पुराने समय में पतंग काटते ही “बोलो बे छोकरो काटे ओये” का मशहूर जुमला गूंजता था, जो आज भी लोगों की जुबान पर है।

रियासत काल में यहां के राजा भी रक्षा बंधन पर पतंगबाजी करते थे और प्रतियोगिताएं आयोजित होती थीं। इस बार भी नाहन के लोग पूरे उत्साह के साथ इस परंपरा में शामिल हुए और दिनभर भाईचारे, उत्साह और रंगों से भरे आसमान का आनंद लिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर