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मीरजापुर, 9 अगस्त (हि.स.)। सावन पूर्णिमा के पावन अवसर पर शनिवार को मां विंध्यवासिनी देवी के दरबार में देशभर से आए श्रद्धालुओं ने बड़े ही श्रद्धा भाव से शीश नवाकर मंगलकामना की। भोर में मंगला आरती के बाद से ही दर्शन-पूजन का क्रम शुरू हो गया, जो देर रात तक अनवरत चलता रहा।
गुड़हल, गुलाब, कमल पुष्पों और रत्नजड़ित आभूषणों से मां का भव्य श्रृंगार किया गया, जिसके दर्शन कर भक्त निहाल हो उठे। घंटा-घड़ियाल, शंखनाद और जयकारों से पूरा विंध्यधाम देवीमय हो गया।
गंगा घाट पर स्नान के बाद नारियल, चुनरी और प्रसाद लेकर देवीधाम पहुंचे श्रद्धालुओं ने गर्भगृह से या झांकी के माध्यम से मां के दिव्य स्वरूप का दर्शन किया। बड़े और छोटे सभी मां की भक्ति में लीन नजर आए। दर्शन-पूजन के बाद श्रद्धालु विंध्याचल की गलियों में सजी दुकानों से आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करते भी दिखे।
भक्तों ने मंदिर परिसर में विराजमान अन्य देवी-देवताओं के भी दर्शन किए और सुख-समृद्धि की कामना की। बड़ी संख्या में आस्थावान अष्टभुजा पहाड़ पर स्थित मां काली और मां अष्टभुजी देवी के दरबार में भी पहुंचे और विधिवत पूजा-अर्चना की।
मंदिर परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में उमड़ी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए थे, जिससे भक्तजन शांति और सुविधा के साथ दर्शन-पूजन कर सकें।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा