शाजापुरः पार्थिव देह पर राखी बांधकर बहनों ने दी भाई को विदाई
मणिपुर से अकोदिया पहुंची मोहित की पार्थिव देह, शहीद की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
परिजनों ने दी मुखाग्नि।


अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब।


तिरंगे में लिपटा सैनिक का शव।


शा, 9 अगस्त (हि.स.)। मणिपुर में तैनात सीआरपीएफ जवान मोहित सेन (22) ड्यूटी के दौरान एक्सीडेंट में शहीद हो गए। शनिवार को उनकी पार्थिव देह शाजापुर जिले के अकोदिया लाई गई। शहीद भाई को देखते ही बहनें बिलख उठीं। उन्होंने भाई की कलाई पर राखी बांधी। रक्षाबंधन के पर्व पर पूरे शहर में शोक की लहर है। मोहित की मां को 2 दिन तक हादसे के बारे में नहीं बताया गया। हादसे से एक दिन पहले ही उन्होंने मां से बात की थी। बेटे की पार्थिव देह जब घर पहुंची तो मां बेसुध हो गईं। मां लगातार यही पूछ रही है मेरे अंकित को क्या हुआ, अब नहीं आएगा क्या। राखी तो बंधवा लेता।

अंतिम यात्रा में पूरा शहर उमड़ा शहीद के बड़े भाई अंकित सेन ने बताया कि 6 अगस्त बुधवार को उन्हें बटालियन से फोन आया था। बताया गया था कि मोहित की एक्सीडेंट में मौत हो गई है। शनिवार सुबह 7.30 बजे मोहित की पार्थिव देह फ्लाइट से भोपाल लाई गई। फिर सड़क मार्ग से अकोदिया थाने पहुंची। शहीद की अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें पूरा शहर उमड़ पड़ा। लोग बाइक पर तिरंगा हाथ में लेकर देश भक्ति के गीतों के साथ चले। यात्रा शहीद के निवास ग्राम रानी बड़ौद पहुंची।

भाई ने जल्दी लौटने का कहा था मोनिका, राधिका, सोनिका तीनों मोहित के चाचा की बेटियां हैं। बहनों ने रोते हुए बताया कि मोहित भैया बहुत अच्छे थे। जब भी छुट्टी पर आते थे हमारे लिए कुछ न कुछ लेकर आते थे। 1 महीने पहले भी आए थे। तब उन्होंने कहा था कि मैं जल्दी वापस आऊंगा। भाई की शादी की तैयारी चल रही थी। उनके मम्मी-पापा की इच्छा थी कि भाई की शादी धूमधाम से हो।

शहीद को दिया गार्ड ऑफ ऑनर शहीद मोहित सेन को उनके गृह ग्राम रानी बड़ोद में अंतिम विदाई दी गई। मुक्ति धाम पर 120 बटालियन के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर के साथ शहीद को सलामी दी। इस दौरान विधायक घनश्याम चंद्रवंशी, जिला पंचायत अध्यक्ष शाजापुर और पूर्व सैनिकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद परिवार के सदस्यों ने शहीद को मुखाग्नि दी। वहीं विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने इस अवसर पर घोषणा की कि स्थानीय हाईस्कूल का नाम शहीद मोहित सेन के नाम पर रखा जाएगा। शहीद की स्मृति में एक स्मारक का निर्माण भी किया जाएगा।

दो साल से मणिपुर में तैनात थे मोहित सेन ने शुजालपुर में अपनी पढ़ाई पूरी की थी। उनकी पोस्टिंग मणिपुर में दो साल पहले हुई थी। पिता आनंदीलाल सेन भी सीआरपीएफ की 120 बटालियन में तैनात थे। मोहित सेन के दोस्त सुरेंद्र विश्वकर्मा ने बताया हम छठी क्लास से साथ में थे। साइकिल से एक साथ स्कूल और कोचिंग जाते थे। मेरी 10 दिन पहले ही उससे बात हुई थी और कभी-कभी वॉट्सएप पर बात होती रहती थी। दोस्त दिलीप जायसवाल ने बताया हम साथ में पढ़े हैं। कॉलेज भी हमने साथ में किया है। वह बहुत ही व्यावहारिक, मिलनसार और सबका प्रिय था। हमने कोचिंग भी साथ में की। उसकी मौत से तीन दिन पहले ही मेरी उससे बात हुई थी। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वह इस दुनिया को छोड़कर हम सबके बीच से चला जाएगा। मोहित जब भी आता था तो हम दोस्तों के साथ ही ज्यादा टाइम बीताता था। वह यही कहता था कि देश सेवा से बढ़कर कोई काम नहीं है। मैं अपने आपको बहुत ही गर्व महसूस करता हूं कि मैं फौजी हूं। ---------------

हिन्दुस्थान समाचार / मंगल नाहर