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-संस्कृत वैज्ञानिक दृष्टि से विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषाः आचार्य देवदत्त शास्त्री
नारनाैल, 9 अगस्त (हि.स.)। नारनौल में श्रावणी उपाकर्म पर्व शनिवार को ढोसी धाम स्थित शिव कुंड पर मंत्रोच्चारण और श्रद्धा भावना से मनाया गया। श्रावणी उपाकर्म शारदा संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य देवदत्त शास्त्री के सानिध्य में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में काफी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ढोसी धाम के शिव कुंड पर सभी ब्रह्मजनों ने स्नान कर सर्वप्रथम जल में खड़े होकर जलक्रिया की। उसके बाद मंदिर में हवन कर सप्त ऋषियों का पूजन किया।
सप्त ऋषियों को यज्ञोपवीत चढ़ाकर सभी ने नये यज्ञोपवीत धारण किए। जिसमें संपूर्ण क्रिया वेद मंत्रों के साथ आचार्य क्रांति निर्मल शास्त्री ने संपन्न करवाई।
आचार्य देवदत्त शास्त्री ने यज्ञोपवीत के लाभ और उसकी महिमा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि संस्कृत वैज्ञानिक दृष्टि से विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है।
देवदत्त शास्त्री ने कहा कि नवीन यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण करना अर्थात आत्म संयम का संस्कार होना माना जाता है। इस संस्कार से व्यक्ति का दूसरा जन्म हुआ माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि जो व्यक्ति आत्म संयमी है, वही संस्कार से दूसरा जन्म पाता है।
उन्होंने कहा कि यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसे ब्राह्मणों का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्याम सुंदर शुक्ला