Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
चंपावत, 9 अगस्त (हि.स.)। रक्षाबंधन के अवसर पर मां बाराही धाम में आयोजित ऐतिहासिक बग्वाल परंपरा इस वर्ष भी धार्मिक आस्था और परंपरागत मान्यताओं के साथ संपन्न हुई। खुशनुमा मौसम के बीच आठ मिनट तक चले इस अनोखे पत्थर युद्ध में 150 से अधिक बग्वाली वीरों के रक्त से मां बाराही को प्रसन्न किया गया।
खोलीखांड दूर्बाचौड़ मैदान में गहड़वाल, चमियाल, लमगडिया और वालिक खाम के वीरों के बीच आयोजित इस बग्वाल को देखने के लिए 45 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे।
मान्यता है कि महाभारत काल में यहां हर वर्ष नरबलि दी जाती थी। एक बार नरबलि के लिए चमियाल खाम के परिवार की बारी आई, जिसमें केवल दादी और उसका पोता जीवित थे। दादी ने मां बाराही से रक्षा की प्रार्थना की। तब मां बाराही ने कहा कि मंदिर परिसर में आपस में पत्थर युद्ध (बग्वाल) कर एक मनुष्य के बराबर रक्त बहाने पर वह प्रसन्न होंगी। तभी से यह परंपरा गहड़वाल-चमियाल और लमगडिया-वालिक खाम के बीच निरंतर जारी है। कोरोना काल में भी यह परंपरा नहीं टूटी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद बग्वाल में अब फलों और फूलों का भी प्रयोग किया जाता है, हालांकि परंपरागत रूप से पत्थरों की मार भी होती है। इस बार के आयोजन में मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा रहे। साथ ही दिल्ली के पडपडगंज विधायक रविंद्र नेगी, विधायक राम सिंह केड़ा, डीएम मनीष कुमार, एसपी अजय गणपति समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजीव मुरारी