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मंडी, 9 अगस्त (हि.स.)। मंडी जनपद के विभिन्न अंचलों में रक्षाबंधन के त्योहार की धूम रही। इस अवसर पर जहां बहनों ने अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर भाई-बहन के पवित्र प्रेम के इस त्योहार को मनाया। वहीं पर रक्षा बंधन से ही लोकदेवता के प्रतीक के रूप में गुग्गा जाहरपीर की घर-घर गायन यात्रा भी शुरू हो गई है। मंडी जनपद के बल्ह, सुंदरनगर, नाचन, करसोग, तुंगल व सरकाघाट आदि क्षेत्रों में गुग्गा जाहरपीर घर-घर जाकर लोगों की खुशहाली और रक्षा करते हैं। बरसात के मौसम खासकर भादो महीने में देवी-देवताओं के कपाट बंद हो जाते हैंद्व ऐसे में गुग्गा जाहरपीर ही गांव के लोगों की जानमाल की रक्षा करते हैं। इसी कड़ी में शनिवार को उप मंडल मुख्यालय कोटली एवं आसपास के गांवों में भी रक्षाबंधन के त्योहार से गुग्गा जाहरपीर के गायन की शुरुआत हो गई है। यह सिलसिला आगामी 16 अगस्त को मनाया जाने वाले जन्माष्टमी के त्यौहार तक लगातार जारी रहेगा। मंडी जनपद और तुंगल क्षेत्र में आज से गुग्गा जाहरपीर की महिमा के गुणगान का शुभारंभ हो गया है जोकि लगातार एक सप्ताह तक निरंतर जारी रहेगा। क्षेत्र में इन्हीं दिनों गुग्गा गान की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिसमें टोलियां बनाकर क्षेत्र के गांव-गांव के हर घर में जाकर गुग्गा जाहरपीर के गुणगान से संबंधित लोकगीत गाए जाते हैं । जिन्हें स्थानीय बोली में भारथा कहते हैं, भारथा का मतलब गाथा से लिया जाता है। जो कि न केवल सुनने में बहुत मधुर लगते हैं बल्कि सच्ची कहानियों एवं घटनाओं पर आधारित यह गीत सुनने वालों को भाव विभोर कर देते हैं। यह सिलसिला रक्षाबंधन से शुरू होकर जन्माष्टमी के त्योहार पर जाकर समाप्त होता है। मंडी जनपद के कोटली के अरन्याणा गांव के निवासी सेवक राम उर्फ राजू सहित राम सिंह, राकेश,शेर सिंह, धारी राम, पूरन चंद की टोली ने अपने गांव से शुरुआत करके घर-घर जाकर कोटली व आसपास के क्षेत्र में गूग्गा जाहर पीर की महिमा का गायन सुनाया। सेवक राम ने बताया कि वे जन्माष्टमी तक लगातार क्षेत्र की तकरीबन सभी पंचायतों का भ्रमण करते हुए घर-घर जाकर यह गायन सुनाएंगे। उन्होंने बताया कि गांव में हर घर में लोगों की ओर से बड़ी श्रद्धा एवं आस्था के साथ गुग्गा महाराज का स्वागत किया जाता है तथा विधिवत पूजा अर्चना के साथ बड़ी श्रद्धा से लोग गायन को सुनते हैं। इस दौरान गुग्गा महाराज के स्वागत के लिए लोग आटे का मिठा रोट बनाकर भेंट करते हैं। इसके अलावा गुग्गा नवमी के दिन वििभन्न जगहों पर जगराते आदि का भी आयोजन होता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा