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कन्हैया का श्रृंगार और राखियां अपने ही हाथों से करतीं हैं तैयार
मथुरा, 09 अगस्त (हि.स.)। भारतीयता और अध्यात्म का रंग इतना गहरा है कि जिस पर चढ़ जाए उसे बस अपना बना ही लेता है। हिन्दू सनातन परंपराओं से विदेशियों का गहरा नाता रहा है। रक्षाबंधन का पर्व भी इससे अछूता नहीं, जिसपर विदेशी महिलाओं ने शनिवार भारतीयता में रच बसकर अपने आराध्य के प्रति अपने प्रेम का इजहार किया। शनिवार को सेवाकुंज स्थित ठा. कृष्ण बलराम मंदिर मोरछली कुंज में अपने गुरुदेव मधुसूदन महाराज के सानिध्य में रक्षाबंधन पर्व मनाने वाली स्पेन की वैजयंती दासी ने बताया कि दुनिया की सभी संस्कृतियों से उन्नत और श्रेष्ठ भारतीय संस्कृति हमें अपनी और खींचती है, जिसमें अपने ईश्वर के प्रति परस्पर प्रेम और अनुराग का कोई सानी नहीं। अमेरिका की वृंदावनी दासी ने कहा कि हमारे गुरुदेव ने हमें बताया कि यह बहन भाई के परस्पर प्रेम और सुरक्षा के भरोसे का पर्व है, तो कृष्ण से बड़ा रक्षक हमारा और कोई नहीं हो सकता, इसलिए हमने उसी कन्हैया को अपना भैया मान लिया है। इस पावन अवसर पर फ्रांस, जर्मनी के साथ ही परस्पर विरोध में युद्धरत रूस और यूक्रेन तथा इस्लामिक बहुल कजाकिस्तान की बहनों ने भी सनातन के आदर्श नायक कृष्ण और बलराम को राखी बांधकर उनसे जन्म - जन्मों का नाता जोड़ लिया। मंदिर के महंत मधुसूदन महाराज ने बताया कि जहां कृष्ण नीति और प्रेम तो बलराम शक्ति और सहजता के प्रतीक हैं। इनके मार्ग पर दुनिया के हर वैमनस्य और अभाव का हल है, जो निःसंदेह मानवता को सद्भाव और उन्नति के मार्ग पर प्रशस्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि मंदिर में चल रहे झूलनोत्सव में दुनिया के विभिन्न देशों से वृंदावन की परम पावन भूमि पर एकजुट हुई इन महिलाओं को अनुराग और आनंद की प्राप्ति अपने आराध्य के सानिध्य में हो रही है। खास बात यह है कि अपने भाई कन्हैया का श्रृंगार हो या राखियां ये अपने हाथों से ही तैयार करती हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / महेश कुमार